जबलपुर। जिले में बीते ढ़ाई सौ सालों से निकाली जाने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर कोरोना का ग्रहण लग गया है. इस साल भगवान अपने गर्भगृह से बाहर नहीं निकले. जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमण के मद्देनजर मंदिर समिति को रथयात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी, जिसके बाद भक्तों ने मंदिर में ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भगवान का पूजन किया और आशीर्वाद लिया.
संस्कारधानी में टूटी ढ़ाई सौ साल पुरानी परंपरा, प्रशासन ने नहीं दी अनुमति - jagnnath worship in jabalpur
जबलपुर जिले में बीते ढ़ाई सौ सालों से निकाली जाने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन ने रोक लगा दी है. इस साल भगवान को गर्भगृह से बाहर भी नहीं निकाला गया. ऐसे में भक्तों ने मंदिर में ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भगवान का पूजन किया.
दरअसल, जगन्नाथपुरी की तर्ज पर संस्कारधानी में भी हर साल भगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा धूमधाम से निकलती थी, जिसमें लाखों की संख्या में भक्त शामिल होते थे. यह शोभायात्रा गढ़ाफाटक से लार्डगंज, मालवीय चौक होते हुए निकलती थी. बलभद्र और सुभद्रा के साथ भगवान जगन्नाथ की झांकी पूरे शहर में निकाली जाती थी, लेकिन इस साल प्रशासन ने कोरोना संक्रमण के भय से रथ यात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी. जिसके चलते भगवान को गर्भगृह से नहीं निकाला गया. ना ही इस बार गढ़ाफाटक में ही उनके रथों का भ्रमण करवाया गया. मंदिर से कुछ दूरी पर उन्हें 14 दिनों के लिए स्थापित कर दिया गया है. 14 दिनों बाद भगवान वापस अपने घर लौटेंगे.
कोरोना के कहर ने आम जनजीवन को काफी प्रभावित किया है. कोरोना का काला साया भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर भी देखने को मिला, जिसमें संस्कारधानी में ढाई सौ साल की पुरानी परंपरा टूट गई, जिससे लोगों में निराशा रही. लोगों ने मंदिर और अपने घरों में ही भगवान की पूजा करके उनका आशीर्वाद लिया.