रायसेन। जिले में एक अनोखी परंपरा है, जिसमें भक्त लोहे का त्रिशूल गाल में छेदकर पहनते हैं और मां की भक्ति में झूमते हैं. इस परंपरा को बाना पहनाना कहते हैं. कुछ भक्त लोहे का 10 फीट लंबा और 10 से 15 किलो का त्रिशूल पहनकर माता को मनाते हैं.
भक्त जवारे विसर्जन के समय मां को खुश करने के लिए बाना (त्रिशूल) पहनते हैं. भक्तों का कहना है कि वैसे तो अगर एक कांटा भी चुभ जाए, तो दर्द सहना मुश्किल हो जाता है, लेकिन यह माता की शक्ति ही है, जिसकी वजह से बाना पहनते समय न तो उनके गाल से खून निकलता है और न ही उन्हें दर्द होता है. यहां तक कि बाना निकालने के बाद भी घाव मात्र भभूत यानि धुली लगाने से ठीक हो जाता है.