Dhanbad News: निरसा में बह रही भक्ति की रसधारा, कथा वाचक देवी चित्रलेखा के प्रवचन से भक्त हो रहे ओत-प्रोत - कथा वाचक देवी चित्रलेखा
धनबादः निरसा के तिलतोड़िया में दूसरे दिन श्रीमद्भागवत कथा के दौरान देवी चित्रलेखा ने कहा कि आज धर्म ऐसे संकट में है कि इंसान भगवान को भी बांटकर अपना बंटवारा करने में लगा है. उन्होंने कहा कि कथा जीवन परिवर्तन के लिए नहीं सिर्फ प्रभु के आनंद को पाने के लिए है. जब कथा में बैठो तब सबकुछ प्रभु पर छोड़ दो. चिंता इतनी करो कि उससे काम हो, इतनी नहीं कि जिंदगी ही तमाम हो जाए. मस्त रहिये, हरिनाम में व्यस्त रहिये. देवी जी ने भागवत कथा में भगवान के 24 अवतारों आदि पुरुष, चार सनत कुमार, वराह, नारद, नर-नारायण, कपिल, दत्तात्रेय, यज्ञ, ऋषभ, पृथु, मतस्य, कच्छप, धनवंतरि, मोहिनी, नृसिंह, हयग्रीव, वामन, परशुराम, व्यास, राम, बलराम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि का वर्णन किया. कलियुग के आरंभ में पांडवकुल भूषण राजा परीक्षित के तपस्यारत शमिक ऋषि के गले में सर्प डालने तथा ऋषि पुत्र के राजा को नाग द्वारा डसने संबंधी शाप दिए जाने की कथा भी सुनाई. वहीं ऋषियों के परीक्षित को शाप से मुक्ति दिलाने का भी वर्णन किया. कथा के दौरान देवी चित्रलेखा जी ने लोगो को गौ माता की रक्षा करने को कहा. युवाओ को गौ माता की रक्षा के लिए आगे आने को कहा. साथ-साथ किसानो को भी खेती में विषैले उर्वरकों की जगह गौ माता के स्वनिर्मित गोबर से बने खाद का उपयोग करने को कहा ताकि खेतो में अच्छी फसल के साथ प्राकृतिक हो. जिससे खाद्य पदार्थ मानव शरीर को रोग मुक्त कर सके. कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओ की काफी भीड़ देखी गई. लोग भक्ति भाव में सराबोर दिखे.