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पाकुड़ के सिंघवाहिनी मंदिर में चाल कोहड़ा की बलि दी जाती है

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Navratri 2023: पाकुड़ के इस प्राचीन मंदिर में दी जाती चाल कोहड़ा की बलि, जानें क्या है वजह - कुसमांड की बलि

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 23, 2023, 8:04 PM IST

पाकुड़ के सिंघवाहिनी मंदिर में चाल कोहड़ा की बलि दी जाती है. जिला मुख्यालय के राजापाड़ा स्थित सिंघवाहिनी मंदिर में पहले तांत्रिक विधि से पूजा होती थी और पशु की बलि दी जाती थी. लेकिन बलि प्रथा पर रानी ज्योतिर्मयी देवी ने रोक लगा दी और इसके बदले कुसमांड की बलि दी जाने लगी. राज परिवार की सदस्य मीरा प्रवीण सिंह ने बताया कि सिंहवाहिनी मंदिर का जीर्णोद्धार रानी ज्योतिर्मयी देवी ने कराया था और उस वक्त से रानी के आदेश से पशु के बदले प्रतीक के रूप में कुसमांड की बलि दी जाने लगी. मीरा प्रवीण सिंह ने बताया कि इस सिंघवाहिनी मंदिर में दुर्गा पूजा के मौके पर पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के कई जिलों से श्रद्धालु पूजा आते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी भक्त मां दुर्गा से मंन्नत मांगते हैं वो पूरा होता है और भक्त बलि के लिए चाल कोहड़ा देते हैं. वहीं पुरोहित तरुण पांडेय ने बताया कि यह मंदिर 300 साल से अधिक पूराना है और साल 1941 में मंदिर का जीर्णोद्धार रानी ज्योतिर्मयी देवी ने कराया और उसके बाद से पशु बलि बंद कर चाल कोहड़ा की बलि दी जाने लगी.

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