VIDEO: जनजातीय महोत्सव में आदिवासियों का वाद्ययंत्र बना आकर्षण का केंद्र
जनजातियों की पहचान उनकी कला और संस्कृति (Tribals Art and culture) से है. उनकी सभ्यता, उनकी संस्कृति ही उन्हें सबसे अलग और खास बनाती है. उनकी इसी संस्कृति और सभ्यता को व्यापक बनाए रखने के झारखंड जनजातीय महोत्सव (Jharkhand Tribal Festival) मनाया जा रहा है. मोरहाबादी मैदान (Morabadi Maidan Ranchi) में चल रहे दो दिवसीय जनजातीय महोत्सव में आदिवासियों की कला और संस्कृति की एक झलक देखने को मिली है. जल, जंगल, जमीन की तरह वाद्ययंत्रों से भी आदिवासी समुदाय का गहरा रिश्ता रहा है. कला प्रेमी जनजाति समाज मनोरंजन, उत्सव और सुरक्षा के लिए कई तरह के वाद्ययंत्रों जैसे मांदर, भुआंग, बानाम, चोड़चोड़ी, नगाड़ा, संखवा, किकरी, खुशीर, टोयली, गोगा, टुडूम, ढोल, परांग, पिटोरका, टिंडोरी, घुंघरू आदि का इस्तेमाल करते रहे हैं. इस समाज में वाद्ययंत्रों की पूजा भी होती है लेकिन, समय के साथ-साथ आदिवासी समाज में प्रचलित कई वाद्ययंत्र तेजी से लुप्त होते जा रहे हैं. इनको बचाने की कोशिश इस जनजाति महोत्सव के जरिए की जा रही है. झारखंड में पहली सबार मनाए जा रहे जनजातीय महोत्सव का जायजा संवाददाता भुवन किशोर झा ने लिया.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:26 PM IST