कोल्हान में झामुमो को लगेगा झटका! 1932 आधारित स्थानीयता विधेयक से लोग नाराज, पूर्व सीएम मधु कोड़ा से बेबाक बातचीत
झारखंड विधानसभा से पारित स्थानीयता संबंधी विधेयक में स्पष्ट है कि उसी को स्थानीय माना जाएगा जिसके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पूर्व के सर्वेक्षण/खतियान में दर्ज होगा(1932 Khatiyan Based Domicile Policy Jharkhand ). हालांकि खतियान में नाम नहीं रहने पर ग्राम सभा को भी पहचान सुनिश्चित करने का अधिकार दिया गया है. लेकिन झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं. ईटीवी भारत को दिए एक्सक्लुसिव इंटरव्यू में पूर्व मुख्यमंत्री (Former CM Madhu Koda Exclusive Interview) और कोल्हान क्षेत्र के वरिष्ठ नेता मधु कोड़ा का कहना है कि यह विधेयक आधा अधूरा है. इस विधेयक से कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिलों पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसांवा के लोग प्रभावित होंगे. उनकी दलील है कि इस प्रमंडल में पहला सर्वे सेटलमेंट 1914-1919 तक फिर रीविजन सेटलमेंट 1964 में हुआ. जाहिर है कि जब कोल्हान के लोगों से 1932 का खतियान मांगा जाएगा तो नहीं दे पाएंगे. रही बात ग्रामसभा की तो बिल में इसके अधिकार को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है. नगर परिषद क्षेत्र में किसको ग्राम सभा माना जाएगा. शेड्यूल एरिया और नॉन शेड्यूल एरिया में किसको ग्राम सभा माना जाएगा. इस बाबत नियमावली बनाने वाली बात बेमानी है. मधु कोड़ा ने कहा कि कोल्हान में 55 से 60 लाख लोग रहते हैं. क्या इतने लोगों का स्थानीयता सर्टिफिकेट ग्रामसभा दे पाएगी. ग्रामसभा को ऑप्शनल व्यवस्था में रखना चाहिए था. उन्होंने कहा कि कोल्हान के लोग इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. इसका खामियाजा चुनाव में झामुमो को भुगतना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हम आज भी अपने स्टैंड पर कायम हैं. सरकार तो बहुमत पर चलती है. कोल्हान की उपेक्षा हुई है. हम अपने क्षेत्र के लोगों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे. हालांकि उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि आगामी चुनाव में भी झामुमो के साथ कांग्रेस का गठबंधन रहे. भविष्य में सद्बुद्धि आ जाए और इसको लेकर विचार बदल जाए, इसकी उम्मीद बरकरार है. वैसे मधु कोड़ा ने एसटी-एससी और ओबीसी के आरक्षण प्रतिशत में इजाफे की पहल को सराहनीय बताया. दूसरी तरफ स्थानीयता विधेयक पर कहा कि यह अपने आप में अधूरा विधेयक है. ऐसा विधेयक आगे कितना टिकेगा, यह बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है. मुझे नहीं लगता कि यह मूर्त रूप ले पाएगा. विधेयक लटकने से फिर ढाक का तीन पात हो जाएगा.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:32 PM IST
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