अमृतकाल में भी नहीं मिल रहा साफ पेयजल, जानवर और इंसान एक ही पानी से बुझाते हैं प्यास - Jharkhand news
बोकारो: शुद्ध पेयजल की बात करें तो झारखंड देश के फिसड्डी राज्यों में शुमार है. अभी भी कई जिले ऐसे हैं जहां लोग गंदे नाले में नहाते हैं और उसी पानी को पीते हैं. बोकारो के नगर परिषद क्षेत्र का कारीपानी गांव उन्हीं मे से एक है. यह गांव फुसरो नगर परिषद वार्ड के नंबर 9 में आता है. यहां के लोग पिछले 40 सालों से नाले के किनारे चुआं खोदकर प्यास बुझाने को मजबूर हैं. झारखंड राज्य बना तो सीसीसीएल ढोरी के कारीपानी गांव के लोगों की उम्मीदें उड़ान भरने लगीं. लोगों को लगा कि अब उनके सपने साकार होंगे. पीने के लिए साफ पानी मिलेगा, लेकिन 23 साल बाद भी विकास का आलम ये है कि एक ही घाट पर जानवर और इंसान पानी पीते हैं. जिस पानी से आम लोग हाथ धोना भी पसंद नहीं करते हैं उसी पानी से इन्हें अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है. पानी के लिए सीसीएल ढोरी के लोगों की जद्दोजहद सुबह से ही शुरू हो जाती है. लोग पानी का बर्तन लेकर नाले के किनारे पहुंच जाते हैं. ऐसा नहीं है कि यहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने साफ पानी के लिए कोशिश नहीं की. लेकिन बार बार आवेदन देने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ.