झारखंड विधानसभा में अब नहीं होगा मुख्यमंत्री प्रश्नकाल, सदन की मंजूरी के बाद राजनीति शुरू - आलमगीर आलम
रांचीः झारखंड विधानसभा ने मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के प्रावधान को समाप्त करने की मंजूरी दे दी है. जिसके बाद राज्य स्थापना काल से चली आ रही यह परंपरा समाप्त हो गई है. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के बाद झारखंड तीसरा ऐसा राज्य था जहां विधानसभा नियमावली में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल का प्रावधान था. मगर अब इस सूची से झारखंड का नाम हट चूका है. पिछले दिनों स्पीकर रवींद्रनाथ महतो की अध्यक्षता में हुई विधानसभा की नियम समिति की बैठक में लिये गये निर्णय के बाद गुरुवार को झारखंड विधानसभा ने कार्य संचालन नियमावली की धारा 52 को समाप्त करने के अलावे धारा 304(2) के तहत प्रतिदिन शून्यकाल की सूचना 15 को बढ़ाकर 25 करने का निर्णय लिया है. इतना ही नहीं सदन ने अल्पसूचित प्रश्न को 14 दिन पहले सभा सचिवालय में जमा करने के प्रावधान को भी समाप्त करने का निर्णय लिया है. विधायक दीपक बिरुआ ने समिति की रिपोर्ट को सभा पटल पर रखा. रिपोर्ट में झारखंड विधानसभा की कार्यसंचालन नियमावली से धारा 52 को विलोपित करने की अनुशंसा की गई थी. धारा 52 में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल का प्रावधान था. इस रिपोर्ट के पारित होने के बाद अब झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल नहीं होगा. मुख्यमंत्री प्रश्नकाल खत्म किये जाने को लेकर भाजपा और आजसू ने आज के दिन को झारखंड विधानसभा के लिए काला दिन बताया है. पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य गठन के समय नामधारी जी के आग्रह पर मुख्यमंत्री प्रश्नकाल मेरे कार्यकाल में शुरू हुआ था. जिसके बाद से हर सोमवार को मुख्यमंत्री प्रश्नकाल में नीतिगत सवाल सदन में आते थे मगर उसे भी सरकार ने खत्म कर दिया है. वहीं आजसू विधायक लंबोदर महतो ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह फैसला जनता की आवाज को दबाने जैसा है. विधायक अब तक मुख्यमंत्री से सीधे नीतिगत सवाल करते थे. इधर संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने सदन द्वारा पारित किये जाने का स्वागत करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री प्रश्नकाल देश के एक दो राज्य में ही था जिसे समाप्त करना कोई अनुचित नहीं है.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:20 PM IST