लोक आस्था के महापर्व छठ की अनंत गाथा - chhath in jharkhand
लोक आस्था का महापर्व छठ पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मुख्य रूप से मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाला यह व्रत बहुत कठिन है. छठ की शुरुआत 'नहाय-खाय' से होती है. इस दिन व्रती स्नान कर अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी का भोजन करती हैं. दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी को व्रती दिनभर उपवास कर शाम में रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर भगवान भास्कर की अराधना कर प्रसाद ग्रहण करती हैं. इस पूजा को 'खरना' कहा जाता है. इसके अगले दिन उपवास रखकर शाम को व्रतियां बांस से बने दउरा में ठेकुआ, फल, ईख समेत अन्य प्रसाद लेकर नदी, तालाब या जलाशयों में जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं. चौथे दिन व्रतियां सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर घर वापस लौटकर अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' करती हैं, यानी व्रत तोड़ती हैं.