चाईबासा: झारखंड में प्रतिभावान खिलाड़ियों की कमी नहीं है, लेकिन सरकार और जिला प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण कई प्रतिभावान खिलाड़ी अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पाते हैं. इस वजह से उनकी प्रतिभा राज्य के किसी कोने में ही दम तोड़ देती है. ऐसा ही नजारा देखने को मिला है पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा स्थित मनोहरपुर में, जहां गैरेज में काम करने वाले दो युवाओं का चयन उत्तर प्रदेश के आगरा में 23-24 जनवरी को आयोजित होने वाले 65वें पुरुष फ्रीस्टाइल नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता के लिए हुआ था, लेकिन आर्थिक तंगी और जिला प्रशासन से सकारात्मक सहयोग नहीं मिल पाने के कारण वह इस प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाए.
देश के लिए अखाड़े में तिरंगा लहराने की तमन्ना
सारंडा के मनोहरपुर प्रखंड के रहने वाले दो युवा लगातार कुश्ती में परचम लहराते हुए अब देश की शान के लिए तिरंगा लहराने की जज्बा लेकर आगे बढ़ रहे हैं. इसी जज्बे और उनकी मेहनत ने उन्हें राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता तक पहुंचा दिया है. इन दोनों युवाओं में से एक वाहनों का पंक्चर बनाता है तो दूसरा बाइक की मरम्मत करता है. मनोहरपुर के 26 वर्षीय प्रकाश पांडे और 23 वर्षीय सैफ अंसारी का सपना है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेकर देश और राज्य का नाम रोशन करें. मनोहरपुर जैसे ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले इन दोनों कुश्ती खिलाड़ियों के कदम सफलता की ओर धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं.
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टूट रहा है दोनों खिलाड़ियों का सपना
बाइक गैरेज में मिस्त्री का काम करने वाले प्रकाश पांडे ने अपने दमखम को कई बार बड़ी प्रतियोगिताओं के अखाड़े में दिखाया है. दोनों युवाओं ने 2018 में हिमाचल प्रदेश में आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में सबसे पहले अपना जलवा बिखेरा था. उसके बाद 2019 में श्रीलंका में हुए साउथ एशियन गेम में आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया था, लेकिन अब दोनों खिलाड़ियों का सपना टूट सा गया है. ग्रीको रोमन एवं फ्री स्टाइल सीनियर नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता 2021 के लिए झारखंड कुश्ती टीम का चयन ट्रायल 28 दिसंबर 2020 को झारखंड राज्य संघ कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र बिरसा स्टेडियम में आयोजित हुई थी. इसके बाद प्रकाश पांडे और सैफ अंसारी का चयन 23-24 जनवरी 2021 के लिए किया गया था.
मिट्टी और बालू पर अभ्यास करने को मजबूर
प्रकाश पांडे का चयन 125 किलोग्राम और सैफ अंसारी का चयन 61 किलोग्राम की कुश्ती प्रतियोगिता के लिए हुआ था. नेशनल प्रतियोगिता में चयन की खबर के बाद अब ये दोनों अपनी तैयारी में जुट गए थे. नेशनल प्रतियोगिता में इनके चयन से न सिर्फ इनके परिवार, बल्कि शहर के लोग भी काफी खुश थे, लेकिन सरकारी सहायता नहीं मिलने के कारण नेशनल प्रतियोगिता में हिस्सा ले पाने का उनका सपना अब टूट चुका है. ये अब खेत की मिट्टी और बालू में अभ्यास कर तकदीर बदलने की कोशिश कर रहे हैं. दोनों युवा खिलाड़ियों के परिवार की हालत ऐसी नहीं है कि दोनों गद्दे और मैट पर अपना अभ्यास कर सकें. लिहाजा, दोनों युवा नंदपुर गांव में अवस्थित एक खेत की मिट्टी और बालू में अपना अभ्यास कर रहे हैं.
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सरकारी मदद का है इंतजार
सबसे बड़ी बात यह है कि जब ये दोनों श्रीलंका से दक्षिण एशिया प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर वापस लौटे थे तो स्थानीय से लेकर जिला प्रशासन ने इन्हें हर तरह के सहयोग का भरोसा दिलाया था, लेकिन हकीकत कुछ और है. प्रशासन की ओर से इन्हें मदद के नाम पर अब तक कुछ भी नहीं दिया गया. यही कारण है कि कई बार ये दोनों हतोत्साहित हो जाते हैं. इनका कहना है कि अगर सरकारी मदद मिलती तो काफी बेहतर करते. उन्होंने बताया कि वर्कआउट करने के लिए 1 साल से प्रशासन से गद्दा और मैट की मांग की गई, लेकिन कोई सहयोग नहीं मिला, इसके बावजूद कोशिश जारी है. मिट्टी और बालू पर जितना बन सकता है अभ्यास करते रहते हैं. सब कुछ ठीक रहा तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम अवश्य रोशन करेंगे.