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चाईबासा में पीएम की अपील वोकल फॉर लोकल का दिखने लगा असर, ग्रामीण महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर

पीएम मोदी की वोकल फॉर लोकल अपील का असर चाईबासा में पड़ने लगा है. सारंडा वन प्रमंडल ने स्वयं समूह सहायता की महिलाओं को 20 पत्तल बनाने का मशीन दिया है, जिससे ये महिलाएं अब लाखों पत्तल बना रही हैं और आत्मनिर्भर हो रही है.

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महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर

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Published : May 31, 2020, 7:03 AM IST

चाईबासा: लॉकडाउन के कारण पूरे देश में आर्थिक संकट गहरा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता देते हुए बढ़ाने की अपील के बाद पश्चिम सिंहभूम जिला अंतर्गत सारंडा और पोड़ाहाट के बीहड़ ग्रामीणों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में पहल शुरू कर दी है.

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वैश्विक कोरोना महामारी से देश ही नहीं पूरे विश्व की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है. देश में लगे लॉकडाउन से लगभग व्यापार ठप्प हो गए है. देश मे संचालित कई कुटीर एवं लघु उद्योग बंद पड़े हैं. वहीं कई बड़ी-बड़ी फैक्ट्रीयों में ताला लगने के नौबत आ गई है. लॉकडाउन में फैक्ट्रियां बंद होने पर लाखों मजदूर भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं. देश के विभिन्न राज्यों से मजदूर अपने अपने गृह क्षेत्र में अपनी सुविधा अनुसार वापस लौट रहे हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल फॉर वोकल की अपील के बाद सारंडा वन प्रमंडल ने सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में पहल करते हुए सारंडा क्षेत्र में लगभग 20 पत्तल बनाने का मशीन वितरण किया है.

सप्ताह में होता है लाखों पत्तल तैयार

पीएम के अपील के बाद जिला प्रशासन रेस
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है, लोकल के लिए वोकल होने की भी जरूरत है. इसके साथ ही उन्होंने देश की जनता से स्थानीय प्रोडक्ट को ग्लोबल बनाने की भी अपील की है, जिसे लेकर सारंडा वन प्रमंडल तेजी से काम कर रहा है. हालांकि वन प्रमंडल पहले से ही सारंडा के ग्रामीणों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कई कार्यक्रम चला रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री के लोकल के लिए वोकल होने की जरूरत की बात कहे जाने के बाद सारंडा वन प्रमंडल इस दिशा में रेस हो चुका है.

महिलाएं बना रही पत्तल

कई समारोह में पत्तल का उपयोग
कोल्हान के पश्चिम सिंहभूम जिले के 700 पहाड़ियों से घिरे सारंडा वन क्षेत्र में साल के पेड़ भारी मात्रा में पाए जाते हैं. सारंडा क्षेत्र में लगभग 20 पत्तल बनाने का मशीन वितरण करने के बाद सारंडा की 20 गांव की महिला समूह प्रत्येक सप्ताह 2 लाख पत्तल का निर्माण कर रही है. सारंडा के महिलाओं के जरिेए बनाए गए पत्तल जिले के बड़े-बड़े शहरों में काफी मांगे भी बढ़ी है. महिलाओं के बनाए गए पत्तल का कई समारोह में खूब इस्तेमाल हो रहा है. उनका बनाया पत्तल जिले के चाईबासा चक्रधरपुर और उड़ीसा के राउरकेला आदि में सप्लाई किया जा रहा है.

महिलाएं कमा रही पैसे

महिलाओं की मदद करता है वन विभाग
शुरुआती दौर में जंगल से पत्तल लाने और तैयार कर बाजार में बेचने जाने के लिए ट्रेनों में आरपीएफ जवानों ने थोड़ा दिक्कत किया था. मनोहरपुर वन क्षेत्र पदाधिकारी विजय कुमार ने बताया कि महिलाओं को पश्चिम सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर, चाईबासा और उड़ीसा राज्य के राउरकेला में बेचने जाने के क्रम में आरपीएफ जवान ट्रेनों में धरपकड़ करते थे, उस दौरान भी वन विभाग मामले को हस्तक्षेप कर महिलाओं के बनाए हुए पत्तल उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचाने के कार्य में भी मदद करता था.

रोजगार में लगी महिलाएं

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महिलाओं की बदली जिंदगी
महिला समूह हर सप्ताह 10 हजार पत्तल बनाती है, जिसे बेचकर महिलाएं आपस में पैसे का वितरण करती है. सारंडा की महिलाएं बताती हैं कि वन विभाग के जरिये पत्तल बनाने की मशीन दिए जाने के बाद से उनकी जिंदगी बदल गई है, हर महिने वो 8 से 10 हजार रुपया कमा लेती हैं. महिलाएं अपना घर चलाने में अपने पति की मदद भी करने लगी है और वो बेहद खुश हैं.

लोकल फोर वोकल का असर

सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि सारंडा में साल और सियाल के पत्ते भारी संख्या में पाए जाते हैं, जिससे सारंडा के ग्रामीण महिलाओं के जरिये पत्तल बनाकर ओडिसा और आंध्रप्रदेश आदि राज्यों में बेचा जाता था, लेकिन लॉकडाउन के दौरान होटल, शादी व्याह, समारोह आदि बंद हो जाने के कारण पत्तल की बिक्री लगभग बंद हो गई.


रजनीश कुमार ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों को उनके पंचायत में ही क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखे जा रहे हैं, उन जगहों पर सारंडा के महिलाओं के जरिये बनाए गए पत्तल की खपत की जाएगी, जिससे महिलाओं को निरंतर रोजगार उपलब्ध कराया जा सकेगा.

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