चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर और सोनुआ में खाद लाइसेंस धारक दुकानदारों के यहां खाद का स्टॉक खत्म हो गया है. इससे जरूरतमंद किसान दो दिन से यूरिया के लिए यहां से वहां भटक रहे हैं. कृषि पदाधिकारी का कहना है शनिवार को सोनुआ के लिए रांची से खाद भेजी गई है पर अब तक यहां खाद नहीं पहुंची है. इधर विक्रेता ने चार दिन तक दुकान बंद होने की सूचना चस्पा कर ती है. इससे किसानों में आक्रोश है. किसानों का कहना है कि अभी खेती का समय है और खेत में समय से खाद नहीं डाली गई तो फसल बर्बाद हो जाएगी.
क्षेत्र की खाद दुकानों पर लटका ताला
चक्रधरपुर और सोनुआ बाजार की एक-एक खाद की दुकान पर शुक्रवार तक खाद का स्टॉक था. मात्र दो दुकानों से खाद मिलने से दोनों जगह किसानों की लंबी-लंबी कतार लगी थी. भीड़ अनियंत्रित न हो इसके लिए यहां पुलिस बल भी तैनात की गई थी. हाल यह था कि यूरिया के लिए पुरुषों और महिलाओं की कतार दुकान खुलने से घंटों पहले लग जाती थी. अब हालात इससे भी अधिक खराब हो गए. शनिवार से इन दोनों दुकानों में खाद का स्टॉक खत्म हो गया है. चक्रधरपुर के झारखंड कृषि विकास केंद्र के बाहर दुकानदार ने मंगलवार तक खाद नहीं मिलने का सूचना चस्पा कर दी है, जबकि सोनुआ के अखिल खाद भंडार में भी ताला लटका है.
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कहां है रांची से मंगाई गई खाद
इधर, खाद नहीं मिलने के बारे में पूछे जाने पर जिला के कृषि विभाग के पदाधिकारी सोनुआ में चार दुकानों के लिए शनिवार को रांची से खाद की गाड़ियां रवाना होने की बात कर रहे हैं पर अभी तक खाद नहीं पहुंच सकी है. नतीजतन किसान परेशान हैं. सवाल उठ रहा है कि रांची से पश्चिमी सिंहभूम के लिए निकली खाद अभी तक क्यों नहीं पहुंची या कृषि विभाग के अफसर लोगों को गुमराह कर रहे हैं.
दुकानदार बोला- कृषि पदाधिकारी के कहने पर बंद की दुकान
चक्रधरपुर के झारखंड कृषि विकास केंद्र के दुकानदार अनिल कुमार गुप्ता ने जिला कृषि पदाधिकारी के आदेश पर चार दिन के लिए बंदी की सूचना चस्पा की है. इधर किसान बताते हैं कि इस बार फसल अच्छी होने की उम्मीद है तो यूरिया ही नहीं मिल रही है. इससे फसल के बर्बाद होने का खतरा मंडराने लगा है. किसान मोहन दास ने बताया कि वह चार दिनों से खाद के लिए यहां से वहां भटक रहा है पर खाद नहीं मिल रही है. अगर जल्द खेतों में खाद नहीं डाली गई तो फसल खराब हो जाएगी.
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बाद में खाद मिली तो भी कोई फायदा नहीं
सांजीकुसुम के किसान सुखलाल जोंको ने बताया की तीन बार खाद लेने के लिए गया था, लेकिन लंबी लाइन होने से खाद नहीं मिल पाई. खेतों में पानी भी कम है, ऐसे में अगर दो चार दिन में खेतों में खाद नहीं डाली गई और बाद में खाद मिली तो कोई फायदा नहीं होगा.