चाईबासा: वन प्रक्षेत्र अंतर्गत अंगरडीहा गांव में जावबेड़ा उरुबांदा तालाब के पास फिर हाथियों का दो गुट भीड़ गए, जिसमें दो महीने के एक हाथी के बच्चे (नर) की मौत हो गई. मामले की जानकारी मिलने के बाद शव को पोस्टमार्टम के बाद घटनास्थल के पास ही वन विभाग की उपस्थिति में दफना दिया गया.
ग्रामीणों ने बताया कि हाथियों का झुंड यहां अक्सर विचरण करते रहते हैं, रविवार की रात यहां दो गुटों में भिड़ंत हो गई, जिसमें एक हाथी के बच्चे की मौत हो गई, हाथी के बच्चे की मौत के बाद हाथियों का एक झुंड शव के पास दिनभर जमे रहे. शाम तक हाथी विचरण करते रहे. मामले की सूचना के बाद वन विभाग के पदाधिकारी और कर्मी सुबह से ही वहां पहुंचकर हाथियों को भगाने में प्रयासरत रहे. कड़ी मशक्कत के बाद हाथियों को वहां से खदेड़ा गया, जिसके बाद शव का पोस्टमार्टम कराकर वहीं पर दफना दिया गया.
दो गुटों में अक्सर होता है खूनी संघर्ष
ग्रामीणों के अनुसार पंचवटी पहाड़ के पास हमेशा लगभग 40 हाथियों के दो झुंड रहता है, दोनों गुटों में अक्सर खूनी संघर्ष होते रहता है, 28 दिन पहले भी पहाड़ के तराई पर स्थित अंगरडीहा सरकारी तालाब में 3 महीने के बच्चे की मौत हो गई थी. रविवार की सुबह भी ऐसा ही हुआ. पंचवटी पहाड़ की तराई में स्थित जावबेड़ा के उरुबांदा तालाब और इसके आसपास करीब 40 जंगली हाथियों के दो गुटों के बीच जमकर संघर्ष हुआ, जिसमें हाथी के बच्चे की मौत हो गई. ग्रामीणों का कहना है कि पंचवटी पहाड़ में जंगली हाथियों के बीच गुटीय संघर्ष की कहानी पुरानी है, हर साल आपसी संघर्ष में हाथी के बच्चे की मौत होती है, इस संघर्ष में आसपास के खेतों में लगे फसल और बागान की सब्जियां भी बर्बाद होती है, आंगरडीहा और खेड़ियाटांगर गांवो के बीच पड़नेवाले पहाड़ से इस मौसम में हाथियों का झुंड उतरता है, जिससे आसपास के ग्रामीण दहशत में रहते हैं.
अधिकारियों ने भी माना गुटीय संघर्ष में हुई मौत
चाईबासा वन क्षेत्र के डीएफओ सत्यम कुमार ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया. उन्होंने माना कि हाथी के बच्चे की मौत जंगली हाथियों के बीच गुटीय संघर्ष का ही परिणाम हो सकता है, इंसानी हमले के निशान नहीं मिले हैं.
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एलीफेंट कोरिडोर की कड़ी है पंचवटी पहाड़
ग्रामीणों के अनुसार जिस पंचवटी पहाड़ की तराई में घटना हुई थी, वह एलीफेंट कोरिडोर की अहम कड़ी है, यह एलीफेंट कोरिडोर हाथियों का बसेरा सारंडा और दलमा को आपस में जोड़ता है, पंचवटी पहाड़ इसी एलीफेंट कोरिडोर का कड़ी है, जहां बड़ी संख्या में हाथियों का बसेरा है, इस वजह से यहां से होकर हाथी अक्सर गुजरते रहते हैं.
घटना के बाद से ही आसपास के गांवों के लोग दहशत में हैं. आशंका है कि हाथियों का झुंड फिर से रात में रिहाईशी इलाकों में आ सकता है और घरों पर हमले हो सकते हैं. हाथियों को भगाने के लिए उनके पास ना तो टॉर्च है और ना ही पटाखे. ग्रामीण जागते हुए गांव की रखवाली करने को विवश हैं.