चाईबासा: विलुप्त हो रही बिरहोर प्रजाति को बचाने के लिए केंद्र और राज्य में कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन सरकारी प्रावधानों की जानकारी के अभाव में इन लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. ऐसा ही एक मामला पश्चिम सिंहभूम जिले के नोवामुंडी प्रखंड अंतर्गत टाटीबा गांव का है, जहां दो शिक्षित बिरहोर भाइयों को बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ रहा है.
नहीं दिख रही है कोई आशा की किरण
बता दें कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सारंडा के दौरे के क्रम में दोनों भाइयों को प्रावधानों के अनुसार नौकरी देने का आश्वासन दिया था. इसको लेकर दोनों बिरहोर भाई मुख्यमंत्री के आश्वासन और सरकार द्वारा बनाए गए प्रावधान के अनुसार नौकरी की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन अभी तक कोई आशा की किरण नहीं दिखी है. नौकरी की आस में इनकी आंखें पत्थरा सी गई हैं और अब हिम्मत भी जबाब दे रही है.
इस लाभ से बिरहोर आदिम जनजाति पूरी तरह है वंचित
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से भोजन संग्रह, शिकार और स्थानांतरण खेती के रूप में भटक रहे बिरहोर आदिम जनजाति समुदाय के पुनर्वास के लिए विशेष कार्यक्रम चला रही है, लेकिन इस विशेष कार्यक्रम के लाभ से पश्चिम सिंहभूम जिले के बिरहोर आदिम जनजाति पूरी तरह वंचित है. नोवामुंडी प्रखंड अंतर्गत टाटीबा गांव के इंटरमीडिएट और तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके दो भाई दशरथ बिरहोर और विष्णु बिरहोर सरकारी प्रावधानों के लिए प्रशासनिक पदाधिकारियों के दरवाजे खटखटा कर थक चुके हैं.