चाईबासा:विश्व में विभिन्न रोगों के इलाज का आयुर्वेद पद्धति की ओर झुकाव हो रहा है. हमारा देश तो आयुर्वेद का विश्व गुरु के रूप में माना जाता है. लेकिन पश्चिम सिंहभूम जिले में 15 राजकीय आयुर्वेद औषधालय, 6 होम्योपैथिक और एक यूनानी औषधालय महज दो चिकित्सक के भरोसे चल रहा है.
आयुर्वेद औषधालय में मात्र 14 कर्मचारी और दो चिकित्सक पदस्थापितजिला मुख्यालय चाईबासा सदर अस्पताल परिसर स्थित पोस्टमार्टम हाउस के बगल में जिला संयुक्त औषधालय है. जिला संयुक्त औषधालय के साथ वर्षों से सौतेला व्यवहार सरकार की ओर से किया जाता रहा है. इस औषधालय को कभी भी सही ढंग से दवाएं उपलब्ध नहीं कराई जाती. चिकित्सक की मानें तो सरकार की ओर से सौतेला व्यवहार के कारण संयुक्त औषधालय का हाल बेहाल हो चुका है. जिला में 15 राजकीय आयुर्वेद औषधालय में मात्र 14 कर्मचारी और दो चिकित्सक पदस्थापित है. इतना ही नहीं दोनों ही चिकित्सक जिला मुख्यालय अस्पताल में ही बैठते हैं, लेकिन एक चिकित्सक को घाटशिला अनुमंडल औषधालय का भी प्रभार दिया गया है. जिस कारण जिले में नियुक्त चिकित्सक मात्र 3 दिन चाईबासा में और तीन दिन घाटशिला में अपना योगदान दे रहे हैं.आयुर्वेद के हिस्से में मात्र 32 हजार रुपयेप्रभारी जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी ओम प्रकाश बताते हैं कि आयुर्वेद के दो चिकित्सक हैं. इन दोनों चिकित्सकों को ध्यान में रखते हुए दवा खरीदारी के लिए इस वित्तीय वर्ष 32 हजार रुपये का आवंटन कर दवा की खरीदारी की गई थी. जबकि आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी औषध्यालय के लिए 1 लाख रुपये का आवंटन आया था. लेकिन होम्योपैथिक और यूनानी के चिकित्सक नहीं होने के कारण 1 लाख रुपये को तीन भागों में बांट दिया गया. जिसमें से आयुर्वेद के हिस्से में मात्र 32 हजार रुपये आए, जिससे दवाओं की खरीदारी हुई, बाकी पैसे वापस भेज दिए गए. इस वित्तीय वर्ष में अब तक कोई आवंटन नहीं मिला है. अस्पताल में आने वाले मरीजों को अस्पताल में दवा उपलब्ध होने पर दिया जाता है और नहीं होने की स्थिति में मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ता है. दवाई नहीं होने के कारण चिकित्सक मात्र देते हैं परामर्श
सरकार की ओर से आवंटित दवा के समाप्त हो जाने पर मरीजों को चिकित्सक मात्र परामर्श ही देते हैं. मरीज खुद बाहर से परामर्श के अनुसार दवाएं खरीदते हैं. होम्योपैथिक आर यूनानी चिकित्सक जिले में नहीं है, जिस कारण संयुक्त औषधालय में दवाओं की खरीदारी भी नहीं होती है.
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चिकित्सक और दवाएं उपलब्ध नहीं होने से नाम मात्र की ड्यूटी
चिकित्सक प्रभात कुमार बताते हैं कि आयुर्वेद के मात्र दो चिकित्सक हैं. बाकी होम्योपैथिक में पद रिक्त पड़े हुए हैं और यूनानी में मात्र एक ही कर्मचारी हैं. दवाएं और चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने के कारण वो नाम मात्र की ड्यूटी बजा रहे हैं. अभी तक आयुर्वेद में भी नाम मात्र के ही दवाएं उपलब्ध है और दवाई कब तक उपलब्ध होंगी, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. कोरोना महामारी के कारण जिला संयुक्त औषधालय में दवाएं उपलब्ध नहीं हो सकी थी.
सरकार आयुर्वेदिक औषधालय के साथ कर रही सौतेला व्यवहार
चिकित्सक प्रभात कुमार ने कहा कि आयुष के साथ वह व्यवहार नहीं मिल रहा है, जो उसे मिलना चाहिए. सीधे तौर पर अगर कहे तो सरकार आयुर्वेदिक के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. एलोपैथिक और आयुर्वेदिक में भेदभाव है, वह साफ नजर आ रहा है.
पोस्टमार्टम हाउस के बगल में औषधालय होने से नहीं आते मरीज
चिकित्सक प्रभात कुमार ने बताया कि औषधालय में मरीजों की कमी चिंता का विषय हैं. पहले प्रतिदिन 200 मरीज औषधालय आते थे, लेकिन अब मात्र 10 से 12 मरीज ही आते हैं. जिसके कई कारण है सबसे पहले तो औषधालय के ठीक बगल में पोस्टमार्टम हाउस का होना. महिला या वृद्ध पोस्टमार्टम हाउस में मुर्दा देख लेने के बाद दूसरी बार औषधालय का रुख नहीं करते हैं. सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.
जिला में कहां-कहां है औषध्यालय
जिला में राजकीय आयुर्वेद औषधालय उनमें चाईबासा, बड़ाजामदा, बलांडिया, जगन्नाथपुर, गढ़ाहातु, तांतनगर बारीजोल, पूर्णिया, निश्चिंतापुर, कुइडा, मनोहरपुर, हेस्साडीह, झिंकपानी और खूंटपानी है. जबकि होम्योपैथिक औषधालयओं में मंझारी, तांतनगर, आसानपाठ, मनोहरपुर, बिंज और गुदरी में है. जबकि यूनानी औषध्यालय जिला मुख्यालय चाईबासा में है.