चाईबासा: राज्य के अनुसूचित जनजातियों से जुड़े संगठनों द्वारा सरकार से सरना कोड लागू करने की मांग की जा रही है, लेकिन इसी बीच झारखंड सरकार द्वारा जारी संकल्प पत्र के अंतिम पैराग्राफ में आदिवासियों/सरना लिखा गया है. इससे पश्चिमी सिंहभूम जिले के मानकी मुंडा संघ और हो महासभा को नागवार गुजर रहा है और सरना को लागू करने की दिशा में हेमंत सरकार की पहल पर शंका जाहिर होने लगा है.
हो महासभा की मानें तो सन 1949 में संपन्न हुए संविधान सभा में आदिवासी शब्द को ही खारिज कर दिया गया था. इसके बाद देश के आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति के रूप में दर्ज दिया गया.
हो महासभा का साफ कहना है सरना कोड लागू नहीं हुआ तो हेमंत सरकार का तिरस्कार किया जाएगा. झारखंड सरकार के संकल्प पत्र के अंतिम पैराग्राफ में आदिवासी/ सरना लिखे जाने के विरोध करते हुए चाईबासा मंगलाहाट स्थित मानकी मुंडा सभागार में आयोजित हो महासभा के लोगों ने प्रेस वार्ता आयोजित की.
इस दौरान मुकेश बिरूवा ने कहा कि सरकार द्वारा आदिवासी/ सरना लिखा जाना सही नहीं है जबकि हम लोग पूरी तरह से सरना धर्म के हैं.
झारखंड सरकार को हम लोग यह बताना चाह रहे हैं देश के आदिवासियों के बारे में सोचना आपका काम नहीं है आप सिर्फ इस राज्य के आदिवासियों के बारे में सोचें क्योंकि हम लोगों ने अपना बहुमूल्य मत देकर आपकी सरकार बनाई है.