चाईबासाः पश्चिम सिंहभूम में दो बार जेल ब्रेक की घटना हो चुकी है. जिसके बावजूद चाईबासा कारामंडल सुरक्षा और कैदियों की क्षमता के अनुसार जेल की पुख्ता इंतजाम नहीं है. चाईबासा कारा मंडल में कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन सुरक्षा सहित अन्य व्यवस्थाओं में कमी को अब तक पूरा नहीं किया जा सका है.
बता दें कि पश्चिम सिंहभूम राज्य के अत्यंत नक्सल प्रभावित इलाकों की श्रेणी में शामिल है. जहां नक्सलियों का वर्चस्व रह चुका है. यहां नक्सलियों ने कई घटनाओं को भी अंजाम दिया है. जिला पुलिस बल की कार्रवाई के दौरान सारंडा व पोड़ाहाट के जंगलों से कई उग्रवादी और नक्सलियों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है. गिरफ्तार नक्सलियों के साथ शातिर अपराधियों को भी चाईबासा कारामंडल में रखा गया है.
नक्सली दो बार दे चुके हैं जेल ब्रेक घटना को अंजाम
कारामंडल में बंद नक्सलियों ने दो बार जेल ब्रेक कांड की घटना को अंजाम दिया है. पहली बार 2011 में और दूसरी बार 2014 में जेल ब्रेक करने में नक्सलियों का हाथ था. पहले जेल तोड़कर भागने वालों में हार्डकोर माओवादी संदीप दा शामिल था. उस समय जेल के ही 3 गार्ड ने जेलब्रेक में मदद कर सभी को भगाने में सहयोग किया था. जिसके बावजूद भी जेल की सुरक्षा व्यवस्था की पुख्ता इंतजाम के लिए जेल में पुलिस बल पर्याप्त नहीं है.
जेल में बंद कैदियों की अपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता
जेल के अंदर रहने वाले कैदियों के अक्सर जेल में रहकर भी अपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता सामने आती रही है. इसके साथ कुछ महीने पहले छापेमारी के दौरान जेल से मोबाइल सिम कार्ड भी बरामद हुई थी. इसका मुख्य कारण जेल की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों की कमी होना है. कारामंडल चाईबासा में कई हार्डकोर नक्सली बंद है. कुछ हार्डकोर नक्सलियों को दूसरे जेलों में शिफ्ट भी किया गया है.