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बेटे की मौत के सदमे में मां के निकल गए प्राण, अंतिम संस्कार के लिए गांव वालों ने नहीं दी दो गज जमीन - Jharkhand News

चाईबासा के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ब्रांडेया गांव में एक परिवार को भाग्य के क्रूर खेल से दो चार होना पड़ा. पहले इस परिवार में बेटे की मौत के सदमे में उसकी मां के प्राण निकल गए फिर जमीन विवाद के चलते गांव के दूसरे लोगों ने शवों को दफन करने के लिए दो गज जमीन तक नहीं दी. बाद में पुलिस शवों को चाईबासा के श्मशान घाट लेकर गई और उनका दाह संस्कार कराया.

Mother and son were not given six feet of land for cremation after death in Chaibasa
मौत के बाद मां-बेटे को दाह संस्कार के लिए नहीं दी छह फीट जमीन

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Published : May 30, 2021, 10:27 PM IST

चाईबासा: चाईबासा के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ब्रांडेया गांव में एक परिवार को भाग्य के क्रूर खेल से दो चार होना पड़ा. पहले इस परिवार में बेटे की मौत के सदमे में उसकी मां के प्राण निकल गए फिर जमीन विवाद के चलते गांव के दूसरे लोगों ने शवों को दफन करने के लिए दो गज (छह फीट)जमीन तक नहीं दी. इस विवाद को शांत कराने पुलिस प्रशासन पहुंचे, जिन्हें ग्रामीणों के विरोध के सामने झुकना पड़ा और मां-बेटे के शव को चाईबासा स्थित श्मशान घाट में दाह संस्कार कराया.

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घटना मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ब्रांडेया गांव की है. शनिवार की रात ब्रांडेया गांव के 45 वर्षीय नारा गोप की मौत हो गई. बेटे की मौत के सदमे में 75 वर्षीय मां रोयबारी गोप ने भी देह त्याग दिया. मां-बेटे के शव की दाह संस्कार के लिए गांव के गोप समाज के श्मशान घाट में कब्र खोदने की तैयारी चल रही थी. इसी दौरान ग्रामीण मुंडा समाज के साथ साथ अन्य लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया.

पांच एकड़ जमीन का है विवाद

ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए पीड़ित परिवार वालों ने घटना की सूचना सदर अंचल के सीओ और मुफस्सिल थाने को दी. इस सूचना पर मुफस्सिल थाने की पुलिस पहुंची, लेकिन पुलिस ग्रामीणों को समझाने में नाकाम रही. पुलिस ने दोनों शव को चाईबासा स्थित श्मशान घाट में दाह संस्कार कराया. मृतक के भाई रामसिंह गोप व मेरेल गोप ने बताया कि पांच एकड़ जमीन की बंदोबस्ती मेरे नाम से है, लेकिन गांव के कुछ लोग इसे हड़पने की कोशिश कर रहे हैं. इस मामले को लेकर कोर्ट में अपील की गई थी. कोर्ट का फैसला भी मेरे पक्ष में आया है. सीमांकन करने का भी आदेश है. उन्होंने कहा कि सीमांकन के लिए कई बार सीओ पहुंचे, लेकिन ग्रामीणों ने विवादित जमीन कहकर सीमांकन करने नहीं दिया. इस विवाद के कारण शव को दफनाने नहीं दिया गया.

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