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चाईबासाः खनन कार्य से प्रभावित क्षेत्रों का DMFT से नहीं हो रहा विकास, जमकर हो रहा खनिजों का दोहन - प्रोजेक्ट अफ्फेक्टेड पीपुल्स एसोसिएशन

चाईबासा में खनन से जुड़े मुद्दों को लेकर एक सभा का आयोजन किया गया. प्रोजेक्ट अफ्फेक्टेड पीपुल्स एसोसिएशन ने इस आयोजन में खनन से प्रभावित क्षेत्रों के विकास को लेकर चिंता जताई. इसमें कहा गया कि सरकार द्वारा दी गई राशि का उपयोग विकास कार्य में नहीं किया गया है.

माइनिंग क्षेत्र

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Published : Aug 25, 2019, 12:17 PM IST

चाईबासाः देश के कई राज्यों में केंद्र सरकार के MMRD एक्ट के तहत गठित DMFT फंड यानी जिला खनिज विकास निधि के रूप में माइनिंग से मिलने वाली राजस्व राशि का उपयोग प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए नहीं हो रहा है. इन्हीं सभी मुद्दों पर विचार विमर्श करने को लेकर प्रोजेक्ट अफेक्टेड पीपुल्स एसोसिएशन द्वारा चाईबासा स्थित टीआरटीसी सभागार में सभा का आयोजन किया गया.

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बता दें कि जिला खनिज विकास निधि के तहत मिलने वाली राशि का एक हिस्सा राज्य सरकार को उपलब्ध कराया जाता है. देश भर में माइनिंग क्षेत्र की निगरानी करने वाली 'माइंस मिनरल एंड पीपुल' नामक संस्था की माने तो DMFT का पैसा नियमों को ताक पर रखकर बर्बाद किया जा रहा है. जिससे माइनिंग से प्रभावित क्षेत्र के लोगों को कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है.

DMFT फंड को लेकर यह संस्था पूरी तरह से गंभीर है और आने वाले दिनों में राज्य और केंद्र सरकार का इस ओर ध्यान आकर्षित करने की बात भी कही गई. संस्था ने यह भी दावा किया कि पिछले कई सालों में शाह कमीशन ने इस क्षेत्र की माइनिंग की जो रिपोर्ट सौंपी थी, उसका असर दूसरे राज्यों की तुलना में झारखंड में कम असर पड़ा है. जिससे यहां जमकर खनिज का दोहन हुआ है.

माइंस मिनरल एंड पीपुल के अध्यक्ष राजेश श्रीमाली ने कहा कि पश्चिम सिंहभूम जिले के खनन से प्रभावित क्षेत्रों के विकास को लेकर खर्च करने के लिए राशि दे दी जाती है. ठीक उसी तरह से पश्चिमी सिंहभूम जिला को भी खनन क्षेत्र के विकास के लिए 871 करोड़ रुपये मिले हैं.

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जिसमें अबतक 271 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. उसके बावजूद क्षेत्र की स्थिति जस की तस बनी हुई है. वहीं, खनन कामों से प्रभावित क्षेत्रों में विकास नहीं दिख रहा है. इस दौरान पश्चिम बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ से आए संस्था के लोगों ने सम्मेलन में भाग लिया.

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