चाईबासा:पेट्रोल डीजल की कीमतों की वृद्धि को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर लगातार हमला कर रही है. इसे लेकर भाजपा के पूर्व सांसद सह प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने यूपीए सरकार के समय के कार्यकाल की याद दिलायी.
अभी देश कई समस्याओं से जुझ रहा है
गिलुवा ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान तेल के दाम में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन उस समय कांग्रेसियों ने पैदल मार्च, साइकल या बैलगाड़ी की सवारी के माध्यम से धरना प्रदर्शन क्यों नहीं की. उन्होंने कहा कि उस समय देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे. पेट्रोल की कीमत करीब 83 रुपये प्रतिलीटर तक पहुंच गया था. उस दौरान न तो देश में कोई आपदा, बिमारी या किसी तरह की युद्ध स्थिति बनी थी.
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कांग्रेस काल में तेल की कीमत में हुई थी बारी बढ़ोतरी
पूर्व सांसद ने कहा कि कांग्रेस के लोगों को बताना चाहिए कि उस समय तेल की कीमत 83 रुपये के पार कैसे पहुंचा था. उन्होंने कहा कि जनता को काग्रेंसी ही बताए कि 83 रुपये पेट्रोल के दाम कैसे बढ गया था. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा़ और सांसद गीता कोडा़ के बैलगाड़ी की सवारी पर भी सवाल उठाया. इस दौरान मौदी सरकार की तारीफ करते हुए गिलुआ ने कहा कि मोदी सरकार ने आपदा के समय गरीबों को सुविधा मुहैया करायी. इस वैश्विक कोरोना महामारी में 80 करोड़ लोगों के बीच करीब 90 हजार करोड़ रुपये खर्च कर जरूरतमद लोगों के बीच विशेष सुविधा उपलब्ध कराने का काम किया है.
राज्य सरकार 31 रुपये लेती है पेट्रोल डीजल का टैक्स
लक्षमण गिलुआ ने कहा कि इस महामारी के दौरान पड़ोसी देश चीन के साथ युद्ध की स्थिति बनी हुई है. इस समय सभी दल को आपसी मतभेद भुलाकर देश हीत में एक-साथ केंद्र सरकार के साथ खड़ा रहना चाहिए था. उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल को लेकर टैक्स की बात करें तो केंद्र सरकार सिर्फ 16 रुपये टैक्स काटती है, जबकि राज्य सरकार 31 रुपये टैक्स ले रही है. इसके बावजूद राज्य सरकार गरीबों के लिए कुछ नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्य में गठबंधन की सरकार है. ऐसे में सांसद गीता कोड़ा को राज्य के मुखिया से बातचीत कर पेट्रोल डीजल की कीमतों में 10 रुपए घटानी चाहिए.