चाईबासाः पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा, कोल्हान और पोड़ाहाट वन क्षेत्र में हाथियों को संरक्षित करने के लिए वन विभाग की ओर से प्रयास तेज कर दिया गया है. सारंडा, कोल्हान और पोड़ाहाट वन क्षेत्र को गज अभयारण्य के रूप में जाना जाता है और वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस क्षेत्र में प्रति वर्ष 180 से लेकर 190 हाथियों का समूह विचरण करने आते हैं.
एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर बनाने को लेकर प्रयास
वन विभाग की ओर से जंगली जानवरों और इंसानों के बीच द्वंद को रोकने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं. इसके बावजूद भी लोग अपनी गलतियों से जानवरों के समीप जाकर अपनी जान गवा रहे हैं. इसके मद्देनजर सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ रजनीश कुमार के नेतृत्व में सारंडा में एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर बनाने को लेकर प्रयास किया जा रहा है. पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा कोल्हान और पोड़ाहाट वन क्षेत्रों में गज अभयारण्य के रूप में जाना जाता है और वन विभाग के अनुसार इस क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष भारी संख्या में हाथी विचरण करने आते हैं. इसके साथ ही सारंडा और पोड़ाहाट क्षेत्र में 60 से 70 हाथी अस्थाई तौर पर देखे जाते हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि हाथियों की इतनी बड़ी संख्या होने के बावजूद यहां एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर नहीं है, जिस कारण हाथियों के बचाव को लेकर वन विभाग को सीमित संसाधनों पर निर्भर होना पड़ रहा है. जबकि पड़ोसी राज्य ओडिशा में एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर पहले से ही बना दिया गया है.
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सारंडा में जल्द बनेगा एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर
झारखंड राज्य गठन होने के बाद से अब तक हाथियों के लिए एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर नहीं बनाया जा सका है, जबकि पड़ोसी राज्य ओडिशा में यह पहल करते हुए वन विभाग की ओर से एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर बनाया जा चुका है. सारंडा डीएफओ रजनीश कुमार की मानें तो एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर को लेकर उनकी ओर से एक प्रोजेक्ट बनाई जा रही है जिस पर विभाग की ओर से अनुमति प्राप्त होने के बाद सारंडा में भी एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर जल्द बनाया जाएगा. सारंडा डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि वन विभाग किसी भी सरकारी मदद से एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर बना सकता है, जिससे हाथियों के बचाव अभियान चलाने में वन विभाग को काफी सहूलियत होगी जिसके लिए उनकी ओर से प्रयास शुरू कर दिया गया है.
सारंडा वन प्रमंडल के द्वारा प्रयास किया जा रहा
सारंडा डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि सारंडा में एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर होने से काफी अच्छा है जिसके लिए सारंडा वन प्रमंडल की ओर से प्रयास किया जा रहा है. सारंडा कोल्हान और पोड़ाहाट वन क्षेत्र एलीफेंट कोर एरिया है, जहां पर भारी संख्या में हाथी पाए जाते हैं. एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर झारखंड में भी होना चाहिए और इसकी आवश्यकता भी महसूस होती है. इस दिशा में पहल करते हुए ओडिशा राज्य में एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर बना दिया गया है. विगत कुछ माह पूर्व वन विभाग के कर्मचारियों की ओर से हाथी की गिनती उनके पद चिन्ह के अनुसार की गई थी. सारंडा, कोल्हान और पोड़ाहाट क्षेत्र में लगभग 190 हाथी हैं. केवल सारंडा की अगर बात करें तो सारंडा में 60 से 70 अनुमानित हाथियों की संख्या है. उन्होंने कहा कि सिंहभूम नोटिफाइड गज अभ्यारण्य कहलाता है. हाथियों की संख्या भी अधिक है जिस कारण एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर की आवश्यकता महसूस की जा रही है लेकिन सारंडा में एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर नहीं होने के कारण हम लोग चाहते हैं कि हाथी को सीमित संसाधनों के कारण जंगलों में ही सीमित रखने का प्रयास कर रहे हैं. उसके लिए जंगलों में जगह-जगह चेकडैम का भी निर्माण करवाया जा रहा है, जिससे हाथियों के लिए पानी की सुविधा मुहैया कार्रवाई की जा सके.