झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

मंत्री मिथिलेश ठाकुर मामले में डीसी की सफाई, कहा- उन्हें होम क्वॉरेंटाइन होने की जरूरत नहीं - पाताहातु क्वॉरेंटाइन सेंटर मामले पर राजनीति

मंत्री मिथिलेश ठाकुर के चाईबासा स्थित पाताहातु स्थित क्वॉरेंटाइन सेंटर का निरीक्षण करने के मामले में जिला उपायुक्त अरवा राजकमल ने सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि वो जनप्रतिनिधि होने के नाते वहां गए थे, लेकिन जिस फ्लोर पर कोरोना पॉजिटिव पाया गया है उस प्लोर पर वह नहीं गए थे.

DC clarified on Minister Mithilesh Thakur case in chaibasa
मिथिलेश ठाकुर मामले पर सफाई

By

Published : May 20, 2020, 8:04 PM IST

Updated : May 20, 2020, 8:37 PM IST

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले में दौरे पर पहुंचे पेयजल और स्वच्छता मंत्री के पाताहातु स्थित क्वॉरेंटाइन सेंटर का निरीक्षण करने और वहीं से कोरोना वायरस का संक्रमित मरीज पाए जाने का मामला अब राजनीतिक रंग चढ़ने लगा है. पश्चिम सिंहभूम जिला उपायुक्त अरवा राजकमल ने प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर इस मामले में सफाई दी है. जिला उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा है कि दो दिन पहले पेयजल-स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने क्वॉरेंटाइन सेंटर का निरीक्षण किया था. जनप्रतिनिधि होने के नाते यह उनका दायित्व भी है.

जानकारी देते डीसी

जिला उपायुक्त ने बताया कि इस मामले की जांच की गई है. जिसमें पुलिस के डीएसपी रैंक के अधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी की एक टीम बनाई गई थी. उन्होंने कहा कि टीम हाई रिस्क और लो रिस्क कॉन्टेक्ट को ट्रेस आउट किया जाता है, इस जांच के क्रम में मरीज से भी बातचीत कर यह जानकारी ली जाती है कि वह किन-किन लोगों के संपर्क में आए हैं. पूरे जांच रिपोर्ट के अनुसार वह ना हाई रिस्क में है ना ही लो रिस्क में. उन्होंने कहा कि मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर जिस फ्लोर में गए थे वहां रहने वाले किसी भी मरीज को संक्रमण नहीं हुआ है, संक्रमित मरीज दूसरे फ्लोर में था, इसलिए मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर को क्वॉरेंटाइन होने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने 128 व्यक्तियों को हाई रिस्क और लो रिस्क दोनों को सरकारी क्वॉरेंटाइन किया है, इसमें मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर का नाम नहीं है.


इसे भी पढे़ं:-चाईबासा: सीएस ने मंत्री मिथिलेश ठाकुर को दी क्वॉरेंटाइन की सलाह, स्टेट क्वॉरेंटाइन सेंटर में मरीजों से की थी मुलाकात


सिविल सर्जन के बयान दिए जाने के सवाल पर उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि यह अकेले सिविल सर्जन का निर्णय नहीं हो सकता है, उसके लिए एक जांच कमेटी बनाई गई है, जिसमें डीएसपी, बीडीओ, सीडीपीओ, स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर और सिविल सर्जन खुद भी शामिल हैं, जांच में सबूत पाए जाने से पहले सभी को सलाह देना भी गलत नहीं है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि क्वॉरेंटाइन सेंटर में सिविल सर्जन के अलावा अन्य अधिकारी भी गए हैं, लेकिन हम लोग सभी को क्वॉरेंटाइन नहीं कर सकते हैं, जो सीधे मरीज के कांटेक्ट में आया है, वैसे व्यक्ति को क्वॉरेंटाइन करना है. इसके साथ ही जांच रिपोर्ट आने से पहले सुरक्षात्मक सलाह देना गलत नहीं है.

Last Updated : May 20, 2020, 8:37 PM IST

For All Latest Updates

TAGGED:

ABOUT THE AUTHOR

...view details