चाईबासा: भारत समेत विश्व भर में आज के दिन को बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि समाज में बाल श्रम के प्रति जागरूकता लाई जा सके और बाल मजदूरी के दलदल में गिरे मासूम बच्चों के बचपन को संवारा जा सके. दुनिया भर में आज 152 लाख बच्चे कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में बाल मजदूरी के शिकार हो रहे हैं.
बाल श्रमिकों के आंकड़ों से अनजान अधिकारी
बाल अधिकारों के लिए विश्व भर में काम करने वाली संस्था 'सेव द चिल्ड्रन' ने हाल ही में जारी किए गए एक रिपोर्ट के अनुसार भारतवर्ष में प्रत्येक चार में से एक को अपना बचपन नसीब नहीं होता है. ऐसे में झारखंड राज्य में वीरों की धरती कहे जाने वाली कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिलों में 'मजबूर बचपन भी मजदूर' हो गया है. यहां मासूम ख्वाहिशें होटल के चूल्हे में झुलस कर राख में तब्दील हो चुके हैं. प्रमंडल के ढाबों और गैरेजों में आज बचपन सिसक रहा है और मासूमों के सपने टूट रहे हैं. श्रम ने इन मासूमों के बचपन को वक्त से पहले ही सोख लिया है, लेकिन श्रम विभाग को इन बाल श्रमिकों के आंकड़ों से कोई लेना देना नहीं है.
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क्या है बाल श्रम
कोल्हान प्रमंडल के जमशेदपुर, चाईबासा और सरायकेला जिले में कितने बाल श्रमिक कार्यरत हैं इसकी जानकारी कोल्हान के किसी भी बाल सूचना कार्यालय में उपलब्ध नहीं है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार जब बच्चे अपने और परिवार की जीविका के लिए काम करने को मजबूर होता है, जिससे उन्हें शैक्षणिक और सामाजिक हानि होती है तो वही बाल श्रम कहलाता है. इसके अलावा जब बच्चों को उनके परिवार से अलग कर दिया जाता है और समय से पहले व्यस्क जीवन जीने के लिए मजबूर किया जाता है तो वह भी बाल श्रम कहलाता है.
काम की तलाश में बच्चे पहुंचते हैं चाईबासा
मानव संसाधन विकास विभाग के अनुसार स्कूल नहीं जाने वाले बच्चे बाल श्रमिक होते हैं. अधिकांश बाल मजदूर झारखंड से सटे बंगाल, बिहार और ओडिशा के सीमावर्ती राज्यों से कोल्हान के अलग-अलग जिलों में कार्य करने पहुंचते हैं और यहीं के होकर रह जाते हैं. कोल्हान प्रमंडल के चाईबासा शहर के एक होटल संचालक ने आम बातचीत में बताया कि बंगाल के पुरुलिया समेत बिहार-ओडिशा के साथ ही जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से अधिकांश बच्चे काम की तलाश में शहर पहुंचते हैं. यहां उन्हें सिर छुपाने की जगह और दो वक्त का खाना मिल जाता है. इसके अलावा होटलों और गैरेजों में मालिकों की ओर से बच्चों को 30 से 50 रुपये रोजाना हाजिरी देकर रख लिया जाता है.
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