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वनों की कटाई करने वाले हाथ अब कुल्हाड़ी छोड़ धरती बचाने में जुटे, सारंडा के जंगल में बनाए गए 4500 चेक डैम - Saranda is famous forest of Asia

चाईबासा के सारंडा में 4500 चेक डैम का निर्माण करवाया गया है. यहां पर चेक डैम बनाने का कार्य आगे भी जारी है. यहां चेक डैम के निर्माण कार्य में 100 मजदूरों को हर दिन रोजगार मिल रहा है, जिससे यहां के लोग काफी खुश हैं. चेक डैम के निर्माण होने से किसानों को भी काफी फायदा पहुंच रहा है.

4500 check dam being constructed in Saranda forest in chaibasa
सारंडा जंगल मे 4500 चेक डैम का निर्माण

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Published : Jun 12, 2020, 1:06 AM IST

पश्चिम सिंहभूम: जिला के सारंडा जंगल एशिया का प्रसिद्ध जंगल है. यहां रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग अब वाटर हार्वेस्टिंग मामले में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में जुट गए हैं. यह कार्य सारंडा वन प्रमंडल की ओर से करवाया जा रहा है. सारंडा के बीहड़ में रहने वाले जो लोग वनों की कटाई कर अपना जीवन यापन किया करते थे, उन्हें सारंडा वन प्रमंडल के कर्मचारियों ने जागरूक करने के बाद सारंडा में जगह-जगह चेक डैम के निर्माण में लगाया है.

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झारखंड का 13% वन सारंडा में मौजूद है. यहां घने जंगलों के कारण वर्षा का रिकॉर्ड भी अच्छा रहता है, लेकिन सबसे बड़ी विडंबना ये है कि बारिश का पानी यहां रुकता नहीं है. पानी नदी के सहारे समुद्र में चला जाता है. सारंडा में भारी बारिश के कारण मिट्टी का कटाव होता है, जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है. पूरे सारंडा में लगभग 4500 चेक डैम का निर्माण किया जा चुका है, जबकि आगे भी चेक डैम का निर्माण कार्य जारी है, जिसके कारण आज स्थिति बदल चुकी है.

चेक डैम निर्माण में लगे मजदूर

60 हजार लीटर पानी चेक डैम में होता है जमा
साल 2019 में सारंडा वन क्षेत्र से धरती को 8.30 करोड़ लीटर पानी मिला है. यह आंकड़ा हर साल बारिश का है. वन विभाग के प्रयास से ऐसा पहली बार हुआ है कि जब 4500 चेक डैम के माध्यम से ऊंचे पहाड़ों से बहते हुए पानी को रोका जा रहा है. इस चेक डैम की ऊंचाई 3.30 फीट और 16 फीट चौड़ाई होती है. बनाए गए लगभग 4500 चेक डैम में लगभग 15 से 30 फीट तक पानी रुकता है. एक साल में लगभग 60 हजार लीटर पानी एक चेक डैम में जमा हो जाता है. इनमें से 20 हजार लीटर पानी धरती में समा जाता है. ऐसे में कुल 4500 चेक डैम के आंकड़े को जोड़ दिया जाए तो साल भर में 8:30 करोड़ लीटर पानी से अधिक का आंकड़ा सामने आता है.

चेक डैम

किसानों को खेती के लिए मिल रहा पानी
सारंडा में चेक डैम बनना वहां के लोगों के लिए रोजगार का एक अवसर बन गया है. पहले लोग सारंडा वन क्षेत्र में वनों की कटाई करते थे और उन्हें बाजार में बेचकर अपनी जीविका उपार्जन किया करते थे. अब लगातार बनते चेक डैम की वजह से कई गांव के लोग इस अभियान से जुड़कर रोजगार पा रहे हैं और जो लोग पहले वनों की कटाई किया करते थे. अब यह पूरे सारंडा क्षेत्र में चेक डैम बनाने का काम कर रहे हैं. इसके साथ ही साथ चेक डैम की वजह से वहां के किसानों के खेतों को भी पानी मिल रहा है. चेक डैम निर्माण में काम कर रहे मजदूर बताते हैं कि वो पहले पेड़ों की कटाई की कर अपना जीवन यापन करते थे, लेकिन अब सारंडा वन प्रमंडल और जल छाजन कर्मियों के संचालित एलबीसीडी का कार्य गांव के पास ही जंगल में दिया गया है, जिससे वो अपना जीवन यापन कर रहे हैं और जंगलों से लकड़ी की कटाई और बिक्री करना भी बंद कर चुके हैं.

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नदियों में नहीं आएगा अधिक उफान
सारंडा वन प्रमंडल शुरू से ही जल संरक्षण को लेकर प्रयास कर रहे हैं. इसी के तहत सारंडा डीएफओ रजनीश कुमार ने जल संरक्षण की दिशा में 4500 से अधिक चेक डैम का निर्माण करवाया है. इन चेक डैमों में रुकने वाले पानी से एक बड़ा फायदा यह होगा की नदी में अब तक जो मिट्टी खदान क्षेत्र से बह कर चली जाती थी और नदी भर जाता था. वह मिट्टी अब नहीं बहेगी. बहते पानी से पहाड़ी नदियां उफान मारती थी, जिससे समतल क्षेत्र में बाढ़ का खतरा होता था. अब इन नदियों में उतना उफान नहीं आएगा.

झारखंड बनाएगा रिकॉर्ड
एक साथ सारंडा के जंगलों में 4500 चेक डैम बनने के बाद, झारखंड का सारंडा वन क्षेत्र इन दिनों राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने के कगार पर खड़ा है. झारखंड और आसपास के राज्यों में अब तक इतनी बड़ी संख्या में चेक डैम निर्माण नहीं किया गया है. 4500 की संख्या में सारंडा वन प्रमंडल की ओर से चेक डैम का निर्माण करवाना अपने आप में एक रिकॉर्ड है. चेक डैम का निर्माण करवाने में जल छाजन विकास के अभियंताओं की भी मदद ली गई है. उनके दिशा निर्देशानुसार सारंडा में चेक डैम का निर्माण कार्य संचालित है.

सारंडा में बना सबसे अधिक चेक डैम
सारंडा में निर्माण किए गए चेक डैम की खास बात यह है कि इसके निर्माण में जंगलों में पड़े हुए लूज बोल्डर का ही प्रयोग किया गया है. इन चेक डैमों में कहीं बाहर से पत्थरों को लाकर चेक डैम बनाने में उपयोग नहीं किया गया है. सारंडा के डीएफओ रजनीश कुमार बताते हैं कि सारंडा में बनने वाले सभी चेक डैम जंगलों में पड़े हुए पत्थरों को संग्रहित कर चेक डैम का निर्माण किया गया है. इसके साथ ही सारंडा के ही ग्रामीणों को चेक डैम निर्माण कार्य में रोजगार भी दिया जा रहा है. हर दिन लगभग 100 ग्रामीणों को रोजगार दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर हम झारखंड की ही बात करें तो अब तक किसी भी जिले में इतनी बड़ी संख्या में चेक डैम का निर्माण नहीं किया गया है. किसी जिले में 1000 से 1200 चेक डैम का ही निर्माण किया जा सका है, लेकिन सारंडा क्षेत्र ही एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर इतनी बड़ी संख्या में चेक डैम का निर्माण किया गया है.

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