सिमडेगाः जिले में भयंकर सड़क जाम लगा, आलम ऐसा रहा कि लोग त्राहिमाम करने लगे. स्कूल बस में बच्चे घंटों भूख प्यास से तड़प उठे. सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गयी. सड़क पर जाम के हालात काफी देर तक देखने को मिला. लेकिन इस जाम ने एक की जान ले ली.
सड़क जाम में एंबुलेंस फंसने से एक व्यक्ति की हुई मौत, इसका जिम्मेवार कौन? क्या प्रार्थना सभा में आयी भीड़ इसके लिए जिम्मेदार है. अनियंत्रित भीड़ जिसे संभलाना प्रशासन का काम था क्या वो इसके लिए जिम्मेदार है या फिर जाम में फंसी एंबुलेंस को रास्ता ना दिए जाने के कारण किसी ने मानवता का परिचय नहीं दिया, इसके लिए वो लोग जिम्मेदार हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आयोजकों द्वारा इसे निजी कार्यक्रम बताते हुए कार्यक्रम की जानकारी प्रशासन को दी गयी थी. जबकि इस सभा में करीब सवा लाख लोगों के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. इतने बड़े आयोजन की स्वीकृति आखिर किस आधार पर और कैसे दी गई? सभा में आने वाले लोगों की भीड़ को देखते हुए तथा यातायात व्यवस्था के लिए तैयारी आखिर क्यों नहीं की गई? क्या ये प्रशासन की लापरवाही तो नहीं, प्रशासनिक तंत्र आखिर अनुमति देने से पूर्व विफल रहा. अगर पूर्व आकलन कर वृहद स्तर पर तैयार की गई होती तो ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती. हालांकि जाम से हुई मौत को लेकर प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. इस बाबत ईटीवी भारत संवाददाता द्वारा एसडीओ महेंद्र छोटन उरांव से संपर्क साधने की कोशिश की जा रही है.
गुरुवार को प्रॉफेट विजेंद्र सिंह की प्रार्थना सभा आयोजित की गई. जिसका आयोजन सिमडेगा के कुछ व्यक्तियों के समूह द्वारा किया गया है. जिसमें अनुमानतः करीब 1 लाख से अधिक लोगों के शामिल हुए. कई किलोमीटर वाहनों की लंबी कतार और हजारों की भीड़ के बीच प्रशासन भी बेबस नजर आई. यहां तक की जाम को खुलवाने के लिए स्वयं एसपी सौरभ कुमार सहित आधा दर्जन के करीब प्रशासनिक अधिकारियों को सड़क पर उतरना पड़ा. हालांकि देर शाम तक जाम पर काबू पा लिया गया लेकिन इस बीच एक 65 साल के बुजुर्ग ने अपने प्राण त्याग दिये.