सिमडेगा: संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से योग को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की घोषणा 21 जून 2015 को की गई थी, जिसके बाद हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा की घोषणा के बाद भारत से शुरू हुए योग को विश्व पटल पर एक अलग पहचान मिली है. इसका प्रचलन बीते कुछ सालों में सिमडेगा में भी काफी बढ़ा है.
सिमडेगा में योग का प्रचलन बढ़ा
सिमडेगा जिले में योग का प्रचलन बीते कुछ सालों में काफी बढ़ा है. लोग बीते कुछ सालों में इसके प्रति काफी जागरूक हुए हैं. यह जिला न केवल हॉकी में ही अपनी पहचान रखता है, बल्कि योग में भी यहां के लोगों ने अपने काबिलियत का परचम लहराया है, जिसमें 22 वर्षीय अनुपा किंडो ने 2 बार अंतरराष्ट्रीय योग प्रतियोगिता में, 6 बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में और जिला स्तरीय प्रतियोगिता में अनगिनत बार हिस्सा ले चुकी है, जबकि उसकी छोटी बहन 17 वर्षीय शर्मिला उरांव और छोटे भाई 13 वर्षीय अनिकेत उरांव चार बार जिला स्तरीय चैंपियन रह चुके हैं.
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अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में बच्चों ने लिया हिस्सा
इनके अलावा निक्की सिंह 1 बार राज्य स्तरीय और 1 बार जिला स्तरीय चैंपियन रह चुकी है. अनूपमा कुजूर जिसने न केवल जिला स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है, बल्कि प्रशिक्षिका के तौर पर जिला स्तरीय योग से संबंधित सभी कार्यक्रमों को बीते कई सालों से होस्ट भी कर रही है. सिमडेगा की प्रतिभागी सह प्रशिक्षिका अनुपा किंडो, जिसने न केवल योग से जिले में अपनी पहचान बनाई, बल्कि हांगकांग और ताइवान जैसे दूसरे देशों में जाकर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा भी लिया.
योगाभ्यास को बढ़ावा
अनुपा किंडो ने साल 2011 में हांगकांग और 2013 में ताइवान जाकर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है. योग में अपना भविष्य तलाश रहे इन बच्चों को सरकार और जिला प्रशासन से उचित सहयोग नहीं मिल पा रहा है. अगर राज्य सरकार और जिला प्रशासन इन पर विशेष ध्यान दें तो सिमडेगा न केवल हॉकी, बल्कि योग में भी अपना परचम लहरायेगा. हालांकि, इस बार कोरोना महामारी के कारण सामूहिक रूप से वृहत स्तर पर योगाभ्यास लोगों को नहीं करा पा रहे हैं.
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सरकरी मदद की आवश्यकता
इन सबके बावजूद इन लोगों ने हार न मानते हुए टाउन हॉल जैसे बड़े भवन का सहारा लिया है, जिसमें समय-समय पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए योगाभ्यास कर रहे हैं, साथ ही आवश्यकता पड़ने पर लोगों को ऑनलाइन जोड़कर प्रैक्टिस भी करा रहे हैं. संसाधन की कमी के बावजूद ये बच्चे काफी मेहनत और लगन के साथ योग के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं, ताकि अधिक से अधिक लोगों को योग से जोड़ा जा सके. बता दें कि इनमें से अधिकांश बच्चे सामान्य परिवार से आते हैं, जिनके लिए हमेशा अपने खर्च पर बाहर जाना असंभव है. इन्हें सरकारी मदद की बहुत आवश्यकता है.