सिमडेगा: यूं तो गांव के गरीबों और जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं लाती है. लेकिन धरातल पर पहुंचते-पहुंचते उसका उद्देश्य और वास्तविकता ही बदल जाती है. ऐसा ही कुछ मामला सिमडेगा में सामने आया है. जिले के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले ग्रामीणों की सुविधा के लिए वर्ष 2018 में 28 बाइक एंबुलेंस की खरीदारी लगभग 28 लाख रूपये की लागत से की गई थी. लेकिन जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाकर वर्तमान उपायुक्त जटाशंकर चौधरी की ओर से सौंपा गया था, वह आज भी अधूरा है.
धरातल पर फीकी योजनाएं
सिमडेगा आज भी काफी पिछड़ा जिला है, जिसमें कई ऐसे गांव है. जहां ना तो पहुंचने को सड़क है और ना ही मोबाइल का टावर और पेयजल के लिए स्वच्छ पानी का भी अभाव है. ऐसे क्षेत्रों में अचानक बीमार पड़ने पर ग्रामीणों को अस्पताल तक ले जाने की दृष्टि से ये बाइक एंबुलेंस काफी कारगर साबित हो सकते हैं. लेकिन व्यवस्था की मार में बाइक एंबुलेंस अपने से उद्देश्य से भटककर कहीं गुम हो गई, जब इन बाइक एंबुलेंस की खोजबीन की गई, तो पता चला कि अधिकांश एंबुलेंस के ऊपर की छतरी ही गायब है और उन्हें अन्य कार्यों के लिए मोटरसाइकिल बनाकर उपयोग में लिया जा रहा है.