सरायकेला: एक तरफ जहां पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से आम जन परेशान हैं. वहीं दूसरी तरफ लोग अब धीरे-धीरे आवश्यकता के अनुसार अपने दो और चार पहिया वाहनों का प्रयोग कर रहे हैं. सरकार भी पेट्रोल और डीजल की खपत कम करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक संचालित कार और बाइक निर्माण पर फोकस कर रही है. ऐसा ही सरायकेला खरसावां जिले के बासुरदा गांव के रहने वाले युवा वैज्ञानिक कामदेव पान ने कर दिखाया है. कामदेव पान ने इलेक्ट्रिक इको फ्रेंडली बाइक का निर्माण किया है.
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दोपहिया इलेक्ट्रिक इको फ्रेंडली बाइक का निर्माण
भौतिकी विज्ञान से स्नातक कामदेव पान ने अपने 2 साल के कड़ी लगन और मेहनत के बदौलत इको फ्रेंडली बाइक का निर्माण किया है, जो पर्यावरण के अनुकूल है और बैटरी से संचालित होता है. वैसे तो आज के दौर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का चालान जबरदस्त तरीके से है लेकिन जहां बड़े-बड़े कंपनियों की ओर से ऊंची कीमतों पर इलेक्ट्रिक व्हीकल का निर्माण किया जा रहा है. कामदेव ने महज 34,000 की लागत से इस दोपहिया इलेक्ट्रिक इको फ्रेंडली बाइक का निर्माण कर डाला है, जो एक बार चार्ज होने पर 50 से 60 किलोमीटर तक आसानी से चलती है, और इस पर डेढ़ क्विंटल का वजन डाला जा सकता है.
हेमंत सोरेन ने युवा वैज्ञानिक कामदेव की तारीफ हेमंत सोरेन नेयुवा वैज्ञानिक कामदेव की तारीफ
इस बेहतरीन निर्माण को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी काफी सराहा है. पिछले दिनों रांची में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे कामदेव के इलेक्ट्रिक बाइक को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बारीकी से देखा और इस युवा वैज्ञानिक की जमकर तारीफ की.
बाइक के पैडल से चार्ज होता है बैटरीकामदेव पान ने महज 16 साल की उम्र में अपने गांव में रिसर्च करते-करते अपने साइकिल को मोटर संचालित बनाया था तब से कामदेव की रुचि नए-नए रिसर्च करने में है. अब तक बाजारों में मिलने वाले इलेक्ट्रिक बाइक या स्कूटी को बिजली से चार्ज किया जाता है लेकिन कामदेव की ओर से बनाए गए इको फ्रेंडली बाइक को बिजली के अलावा पैडल से चला कर भी आसानी से चार्ज किया जा सकता है, जो कि सबसे नवीनतम तकनीक है.
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गांव का बढ़ा मान सम्मान
कामदेव की ओर से रिसर्च कर नए-नए शोध और खोज किए जाने का अब हर किसी को दिलचस्पी से इंतजार रहता है. काफी कम समय में कामदेव ने पूरे झारखंड में एक अलग पहचान बना ली है. अपने लगन और मेहनत से तैयार किए गए इस इको फ्रेंडली बाइक को कामदेव ने मेड इन झारखंड का नाम दिया है. कामदेव के इस मिसाल से ना सिर्फ परिवार बल्कि पूरे गांव के लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. कामदेव अपनी जिज्ञासा शांत करने के बाद अपनी पत्नी को भी रिसर्च के प्रति जागरूक कर रहे हैं और उन्हें भी जानकारियां प्रदान करते हैं.
गांव के युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं
सीमित संसाधन और छोटे से गांव के इस युवा वैज्ञानिक ने अपने परिकल्पना को मूर्त रूप दिया है. जिससे आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की श्रेणी में और भी कई नए शोध हो सकेंगे. कामदेव पान ने यह साबित कर दिया है कि झारखंड के गांव के युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है. बस जरूरत है तो उन्हें सही मार्गदर्शन मिले. जिससे सफलता के मार्ग पर वह अग्रसर हो सके.