झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

महापर्व छठ पूजा के विधान से जुड़ी हैं कई गाथाएं, पूजा में कोसी भराई का है अलग महत्व - सरायकेला में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य

छठ पूजा में भगवान भास्कर की आराधना की जाती है. मान्यता है कि सूर्य ऊर्जा का पहला स्रोत है, जिसके जरिए पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है. वहीं, छठ ऐसा त्योहार है, जिसमें नियमों का बड़ी सख्ती के साथ पालन किया जाता है और इस पर्व में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है. छठ महापर्व के दौरान व्रती तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के बाद अपने घरों के आंगन में 5 या 11 ईंख की मदद से कोसी का निर्माण करती हैं.

worship-of-fourth-day-of-chhath-in-seraikela
छठ पूजा

By

Published : Nov 21, 2020, 6:40 AM IST

सरायकेला: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा भगवान भास्कर और छठी मां को समर्पित है. 4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में लोगों की गहरी आस्था है. वहीं इस महापर्व के विधि और विधान से जुड़े कई गाथाएं हैं, जिनका अलग ही महत्व है. छठ महापर्व में व्रती अपने-अपने घरों में कोसी भराई करती हैं. मान्यता है कि कोसी भरने से सालों भर घरों में सुख सौभाग्य और धन-धन्य बरकरार रहता है.

देखिए पूरी खबर

छठ पूजा में भगवान भास्कर की आराधना की जाती है. मान्यता है कि सूर्य ऊर्जा का पहला स्रोत है, जिसके जरिए पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है. वहीं, छठ ऐसा त्योहार है, जिसमें नियमों का बड़ी सख्ती के साथ पालन किया जाता है और इस पर्व में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है. छठ महापर्व के दौरान व्रती तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के बाद अपने घरों के आंगन में 5 या 11 ईंख की मदद से कोसी का निर्माण करती हैं.

कोसी के बीच कुम्हार द्वारा बनाए गए गणेश भगवान के स्वरूप के रूप में मिट्टी के हाथी को रखकर उसे दीयों से सजाया जाता है. वहीं, मिट्टी के हाथी के अंदर धन-धन्य बरकरार रखने की कामना के साथ छठ के प्रसाद आदि को रखते हैं. वहीं, लाल गमछा या सूती कपड़े में प्रसाद रखकर ईंख के मुंडेर पर लपेट कर टांगा जाता है और इसके बाद महिलाएं कोसी के पास बैठकर पारंपरिक गीत और कहानियां कहती हैं

ये भी पढे़ं:दुमका: छठ व्रतियों ने बासुकीनाथ के गंगा घाट से अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य

शाम को अर्घ्य अर्पण करने के बाद नियमानुसार घरों में कोसी भराई की जाती है. वहीं, अगले सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने से पूर्व या तो छठ घाटों पर या घरों में ही फिर से कोसी सजाकर भरा जाता है. मान्यता है कि कोसी में इस्तेमाल किए जाने वाले 5 ईंख पंचतत्व होते हैं, जिनमें भूमि, वायु, जल, अग्नि और आकाश का स्वरूप शामिल होता है. कहा जाता है कि छठ व्रती अगर कोई मन्नत रखती हैं और वह छठ मैया की कृपा से पूरी हो जाती है तो कोसी भरा जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details