सरायकेला: कोरोना संक्रमण काल के तकरीबन 7 माह बीतने को है. बीते 7 महीनों से कोरोना संक्रमण का असर सभी सेक्टरों पर बराबर देखने को मिल रहा था, लेकिन अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं, और बे पटरी हुई जिंदगी अब फिर से पटरी पर लौटने लगी है.
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में रौनक लौटी. लंबे समय तक मंदी और कोरोना बंदी से जूझ रहे ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी काम मिलने लगा है. फिलहाल त्योहारी सीजन में टाटा मोटर्स गाड़ियों की बिक्री बढ़ने के आसार हैं.
ऐसे में सरायकेला जिले के आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री भले ही धीमी गति से लेकिन फिलहाल चल पड़ी है. लॉकडाउन में जिन उद्योगों में ताले लटके थे, अब वहां फिलहाल 10 से 12 घंटे काम शुरू हो चुका है जोकि निकट भविष्य के लिए एक बेहतर संकेत है.
1397 उद्योगों में केवल 70 प्रतिशत उद्योग ही खुले
सरायकेला के आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में शुरुआती दौर में तकरीबन डेढ़ हजार से भी अधिक कल कारखाने और उद्योग संचालित होते थे, लेकिन समय के साथ इनकी संख्या भी घटती गई है.
आज औद्योगिक क्षेत्र में कुल 1397 उद्योग जीवित अवस्था में है, जबकि कोरोना के संकट काल और लॉकडाउन के बाद इन उद्योगों में काम करने वाले लाखों कर्मचारी और कामगार बेरोजगार हो गए थे.
लंबे अरसे तक लॉकडाउन लेने के कारण सभी उद्योग बंद थे लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की पहल पर स्थानीय उद्योग खोलने शुरू हुए हैं और काम भी यहां शुरू हुआ, लेकिन आज उद्योग खुलने का सिलसिले 5 महीने से चलने के बाद भी उद्योगों की स्थिति कुछ ठीक नहीं है.
आज 1397 उद्योगों में केवल 70 प्रतिशत उद्योग ही पूरी तरह खुल पाए हैं और काम शुरू हुआ है लेकिन अभी उद्योग चलाने में कई अड़चनें हैं.
औद्योगिक क्षेत्र एक नजर में
- कुल उद्योग- 1397
- बड़े दर्जे के उद्योग लगभग - 100
- मध्यम दर्जे के उद्योग लगभग - 400
- लघु उद्योग लगभग 550
- सूक्ष्म उद्योग लगभग- 347
रोजगार की स्थिति कुछ इस प्रकार है ( अनुमानित आंकड़ा)
- बड़े उद्योग से जुड़े लोग-7 हजार
- मध्यम उद्योग से जुड़े लोग- 15 हजार
- लघु उद्योग से जुड़े लोग- 10 हजार
- सूक्ष्मा उद्योग से जुड़े लोग- 30 हजार
इसके अलावा आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भी हजारों लोग जुड़े हैं जिनमें मुख्य रुप से चार पहिया वाहन मालिक, मिनी टैक्सी मालिक, होटल ढाबा संचालक और वहां काम करने वाले लोग, मैकेनिकल दुकानें , मालवाहक गाड़ियां और इनसे जुड़े लोगों को भी यहां रोजगार मिलता है.
टाटा मोटर्स को 307 करोड़ का हुआ एकीकृत घटा
त्योहारी सीजन में वाहनों की बिक्री बढ़ोतरी होने के बावजूद टाटा मोटर्स को चालू वित्त वर्ष 2020 -21 की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) में 307.26 करोड़ का एकीकृत घाटा हुआ है.
हाल ही में टाटा मोटर्स द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई थी इससे पिछले वित्त वर्ष 2019- 20 की अवधि में टाटा मोटर्स कंपनी को 187.7 करोड़ का शुद्ध घाटा हुआ था.
पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में 73 प्रतिशत बढ़ोतरी कमर्शियल व्हीकल की भी स्थिति बेहतर होगी. टाटा मोटर्स द्वारा हाल के दिनों में जारी किए गए रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि कंपनी को पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में 73 प्रतिशत की वृद्धि प्राप्त हुई है.
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ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर इसका अनुकूल असर पड़ेगा, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है. लॉकडाउन के बाद टाटा मोटर्स में स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ प्रोडक्शन कार्य शुरू किया गया.
लॉकडाउन के दौरान इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी का प्रोडक्शन शुरू हुआ लिहाजा पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में इस तिमाही में काफी बेहतर प्रदर्शन हुआ है साथ ही कमर्शियल व्हीकल में भी स्थिति आगे और बेहतर होगी.टाटा मोटर्स पर आधारित है.
लगभग उद्योग सरायकेला के आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के लघु, सूक्ष्म और मध्यम दर्जे के तमाम उद्योग टाटा एंनसिलियरी, यानी टाटा मोटर्स पर निर्भर हैं.
जमशेदपुर के टाटा मोटर्स प्लांट में गाड़ियां खासकर मालवाहक ट्रकों का जो निर्माण होता है, उससे संबंधित छोटे कलपुर्जे औद्योगिक क्षेत्र के छोटी-बड़ी कंपनियों द्वारा तैयार किए जाते हैं. टाटा मोटर्स में बड़े पैमाने पर मालवाहक गाड़ियों का निर्माण होता है तो औद्योगिक क्षेत्र बूम पर रहता है.
केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों का मिल रहा लाभ
7 महीने के लंबे अंतराल के बाद औद्योगिक क्षेत्र के ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े उद्योगों में कार्य तेजी से बढ़ रहा है. सभी उद्योगों में 10 से 12 घंटा कार्य किया जा रहा है. स्थानीय उद्यमी मानते हैं कि लॉकडाउन और कोरोना काल में केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों का लाभ स्थानीय उद्योग धंधों को मिल रहा है.
ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार के योजनाओं को उद्योगों से जोड़ने में बैंकों को एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करना है, ताकि इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उद्योगों को मिल सके, उद्यमी संगठन लघु उद्योग भारती के महासचिव समीर सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के बाद इनपुट प्राइस में बढ़ोतरी हुई है.
मसलन कच्चा माल कलपुर्जे महंगे हुए हैं. ऐसे में बैंकों का सहयोग अपेक्षित है. वहीं कई उद्योगों द्वारा जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किए जाने से भी उनके कार्यों को रोका गया है. ऐसे में केस टू केस स्टडी कर जीएसटी के भी मामले सुलझा लिए जाते हैं तो ऑटोमोबाइल उद्योग की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो जाएगी.
स्थितियां धीरे-धीरे हो रही सामान्य
कोरोना संक्रमण काल के 7 महीने बीतने के बाद अब औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियों को काम मिलना फिलहाल शुरू हो गया है प्रोडक्शन कार्य भी अब धीरे-धीरे प्रारंभ हो चुके हैं और कंपनियों को आर्डर भी प्राप्त होने लगा है.
स्थानीय उद्यमी बताते हैं कि अगले 3 से 4 महीने के बाद ही स्थिति काबू में होगी अभी फिलहाल कम मुनाफे पर ही सही लेकिन उद्योगों में काम तो शुरु हुआ है.
सुरक्षा मानकों के बीच प्रोडक्शन जारी
अनलॉक की प्रक्रिया होते ही केंद्र और राज्य सरकार से प्राप्त गाइडलाइंस के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र में विगत 4 महीने से लगातार कार्य जारी है. लगभग सभी उद्योग सरकार द्वारा जारी किए गए एसओपी के पालन कर रहे हैं और संक्रमण के खतरे कम करने को लेकर हर एक उपाय कर रहे है.
जियाडा कर रहा उद्योगों का सर्वेक्षण
कोरोना काल में झारखंड औद्योगिक विकास प्राधिकार यानी जियाडा द्वारा उद्योगों की अद्यतन स्थिति जानने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. जियाडाके क्षेत्रीय निदेशक सह उपायुक्त इकबाल आलम अंसारी ने बताया औद्योगिक क्षेत्र में लगातार सर्वेक्षण कार्य जारी है.
इसमें इस बात का पता लगाया जा रहा है कि किन उद्योगों में कार्य सुचारू ढंग से चल रहे हैं और किन उद्योगों में कार्य बंद हैं. वहीं जिन उद्योगों में कार्य बंद हैं उनके कारणों को स्पष्ट जानने के बाद समस्याओं को दूर किए जाने का प्रयास किया जा रहा है.
महामारी के इस दौर में उद्योग के विकास पर ग्रहण लगा था, लेकिन अब धीरे-धीरे उद्योगों पर छाए संकट के बादल दूर हो रहे हैं और कयास लगाया जा रहा है कि जल्द ही स्थितियां सामान्य हो जाएंगी और उद्योग विकास के पटरी पर सरपट दौड़ेगा.