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विश्व जल दिवस 2022: जल संरक्षण में झारखंड पिछड़ा, शहरी क्षेत्र में साल 2030 तक ग्राउंड वाटर खत्म होने की आशंका

झारखंड में जल संकट गहरा सकता है. इसकी वजह है कि झारखंड जल संरक्षित करने में पिछड़ता जा रहा है. इसका खुलासा नेशनल इंस्टीच्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन इंडिया की ओर से प्रकाशित कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स रिपोर्ट से हुआ है.

water crisis in jharkhand
जल संरक्षण में झारखंड पिछड़ा

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Published : Mar 22, 2022, 11:05 PM IST

सरायकेला: विश्व में जल संकट गहराता जा रहा है. स्थिति यह है कि देश के कई शहरों में जलस्रोत सूख गए हैं. इसका खुलासा नेशनल इंस्टिट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन इंडिया की ओर से प्रकाशित कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स रिपोर्ट से हुआ है. इस रिपोर्ट में देश के 21 शहरों का नाम हैं, जिसमें जमशेदपुर भी शामिल है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि झारखंड जल संरक्षण में काफी पीछे है और 100 अंक में सिर्फ 35 अंक हासिल कर पाया है.

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जानकार बताते हैं कि 2030 तक शहर ड्राई की श्रेणी में आ जाएगा. इससे बोरिंग और चापाकल सूख जाएंगे. उन्होंने बताया कि आदित्यपुर की 70 फीसदी आबादी भूगर्भ जल पर आश्रित है. लेकिन भूगर्भ जल को संरक्षित करने को लेकर कोई कार्य नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जलापूर्ति का एक मात्र स्रोत सीतारामपुर डैम है, जिसका रखरखाव नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जलापूर्ति पाइप लाइन भी दुरुस्त नहीं है. इससे ज्यादा समस्या है.



पर्यावरणविद सुबोध शरण कहते हैं कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देना होगा. उन्होंने कहा कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग के जरिये ग्राउंड वाटर को रिचार्ज किया जाना चाहिए, तभी आने वाले जल संकट से बच सकते हैं. उन्होंने कहा कि दिन प्रतिदिन जलस्तर नीचे जा रहा है. इसकी वजह है कि आदित्यपुर के सभी तालाब पाट दिए गए हैं. इसके साथ ही मोहल्लों के डोभा भी भर दिए गए हैं. इससे बारिश का पानी संरक्षित नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के अत्याधुनिक तकनीक को अपनाना होगा. उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को लेकर सरकार और नीति बनाने वाले को ध्यान देना होगा.

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