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चार गांवों के ग्रामीणों ने की बरुदारो डैम का पानी नहीं छोड़ने की मांग, एक माह के लिए रूका पुल का निर्माण - सरायकेला में ग्रामीणों ने किया विरोध

सरायकेला में बरुदारो चेक डैम में भरा पानी नदी में बेकार छोड़े जाने के खिलाफ चार गांव के ग्रामीणों ने विरोध जताया है. वहीं, ग्रामीणों के विरोध के बाद अधिकारियों ने गेट नहीं खोला.

Villagers protest against opening of Barudaro check dam gate in Seraikela
Villagers protest against opening of Barudaro check dam gate in Seraikela

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Published : Sep 29, 2020, 9:11 PM IST

सरायकेला: मुरमडीह पुल की मरम्मती के नाम पर बरुदारो चेक डैम में भरा पानी नदी में बेकार छोड़े जाने के खिलाफ चार गांव के ग्रामीणों ने मोर्चा खोला. मंगलवार प्रखंड क्षेत्र के आसुआ, छोटा पहाड़पुर, नामीबेड़ा और सरंगपोसी गांव के सैकड़ों किसानों ने मुरमडीह स्थित बरुदारो चेक डैम का पानी छोड़ने के लिए गेट खोले जाने को लेकर विरोध जताया है. हालांकि, ग्रामीणों के विरोध के बाद अधिकारियों ने गेट नहीं खोला.

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किसानों ने धान की खड़ी फसल तैयार होने तक डैम का पानी न छोड़ने की मांग की है. उग्र ग्रामीण सीताराम हांसदा के नेतृत्व में बरुदारो चेक डैम पहुंचे और सिंचाई विभाग के अधिकारियों और ठेकेदार से एक माह बाद डैम का पानी छोड़ने को कहा. किसानों का कहना है कि अभी बारिश के अभाव में खेतों में पानी सूख गया है अगर अभी डैम का पानी नदी में बेकार छोड़ा जाता है तो किसान कैसे सिंचाई करेंगे. जब तक धान की फसल तैयार नहीं हो जाती किसी सूरत में डैम का पानी बेकार नदी में छोड़ने नहीं देंगे.

ग्रामीणों की मांग को देखते हुए ठेकेदार ने एक माह बाद पानी छोड़ने की बात मानी. मालूम हो कि एनएच 220 पर राजनगर थाना क्षेत्र के रिलायंस पेट्रोल पंप के समीप स्थित मुरमडीह पुल का मरम्मती कार्य शुरू हो गया है. लेकिन पुल के मरम्मती कार्य के लिए बरुदारो चेक डैम में भरा पानी छोड़ना जरूरी है, ताकि पुल के नीचे पिलर का काम शुरू हो पाए. जर्जर पुल की मरम्मती के लिए पिलर का निर्माण किया जाना है.

इधर, ग्रामीणों ने खरकई बांध प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता के नाम संबोधित ज्ञापन पुल मरम्मत करा रहे ठेकेदार को सौंपा. इस दौरान सीताराम हांसदा ने कहा कि बरुदारो चेक डैम के पानी से दर्जनों गांव के किसान सिंचाई करते हैं. बारिश के अभाव में खेतों में दरार आ गई है, अगर पुल निर्माण के नाम पर डैम का पानी यूं ही नदी में बेकार छोड़ दिया जाता है, तो किसानों का धान बर्बाद हो जाएगा. इसलिए फसल तैयार होने के बाद पानी खोला जाए नहीं तो ग्रामीण उग्र प्रदर्शन करेंगे.

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