झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

खरसावां-कुचाई की हल्दी से सजेगी कश्मीर से कन्याकुमारी तक की रसोई, ट्राईफेड और JSLPS ऑर्गेनिक हल्दी को दिलाएंगी पहचान

सरायकेला खरसावां जिले की देसी हल्दी एक बार फिर से सुर्खियों में सामने आई है. अब ट्राईफेड और JSLPS के माध्यम से देश के बाजारों में देसी हल्दी भेजी जाएगी. इसको लेकर किसानों को देसी हल्दी उत्पाद की प्रोसेसिंग कराई जा रही है और पैकेजिंग मैटेरियल के साथ-साथ पैकिंग मशीन भी उपलब्ध कराई गई.

seraikela turmeric will be delivered in all over India
सरायकेला खरसावां जिले की देसी हल्दी

By

Published : May 15, 2021, 4:06 PM IST

Updated : May 15, 2021, 4:41 PM IST

सरायकेला: झारखंड के खरसांवा-कुचाई की देसी हल्दी से जल्द ही मुंबई से कोलकाता और कश्मीर से कन्याकुमारी तक के बाजार सजेंगे, ताकि यहां की गुणवत्तापूर्ण और लाभकारी हल्दी को देश के घर-घर की रसोई तक पहुंचाया जा सके. साथ ही झारखंड के इस उत्पाद को देश में पहचान दिलाई जा सके. बिना रासायनिक खाद का इस्तेमाल किए तैयार की जाने वाली इस हल्दी (ऑर्गेनिक हल्दी)को देश भर में पहुंचाने के लिए ट्राईफेड और JSLPS प्रयास कर रहे हैं. बाजार में मौजूद दूसरी हल्दी से इसका मुकाबला कराया जा सके इसलिए इसकी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग भी कराई जा रही है. इसकी जिम्मेदारी सखी मंडल को दी गई है, ताकि स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ाए जा सकें.

खरसावां-कुचाई की हल्दी

इसे भी पढ़ें-राजकीय छऊ कला केंद्र बेहाल, कोरोना काल में दूर हुए पर्यटक और कलाकार


सरायकेला की देसी हल्दी
सरकार के प्रयास से मेक इन इंडिया, लोकल फॉर वोकल और आत्मनिर्भर भारत जैसे कई कार्यक्रम के माध्यम से भारत भूमि की मूल प्रकृति को सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है. इसी के तहत सरायकेला खरसावां जिले की हल्दी एक बार फिर से देसी उपज के लिए सुर्खियों में सामने आई है. जहां वर्षों से स्थानीय किसान पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों में बिना किसी रासायनिक खाद का इस्तेमाल किए हल्दी की खेती अपने जीविकोपार्जन के लिए करते रहे हैं. स्थानीय बाजारों में सड़क पर बिकते खरसावां-कुचाई की देसी हल्दी पर अब प्रशासन और सरकार की सकारात्मक नजर पड़ी है.


हल्दी की पिसाई और प्रोसेसिंग के लिए मशीन
बीते दिनों जेएसएलपीएस ने खरसावां के रायजमा, खेलारीसाई में जेएसएलपीएस की ओर से 35 महिलाओं के समूह के सखी मंडल को हल्दी की पिसाई और प्रोसेसिंग के लिए मशीन भी उपलब्ध कराई गई. इसके साथ ही खरसावां के हुड़ागंदा सहित रीडिंग पंचायत के विभिन्न गांवों और कुचाई के गोमियाडीह पंचायत की विभिन्न गांव में भी सखी मंडल की महिलाओं के माध्यम से हल्दी की प्रोसेसिंग और रोजगार विकास की योजना पर कार्य किया जा रहा. जिले के गम्हरिया सहित राज्य के सभी जिलों में स्थापित पलाश के आउटलेट में खरसावां-कुचाई के देसी हल्दी बेचे जाने की योजना है.

फूड लेबोरेटरी में हल्दी की रासायनिक जांच
भारत सरकार के जनजातीय मंत्रालय के मंत्री सह स्थानीय सांसद अर्जुन मुंडा ने पहल की है. अब मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था ट्राईफेड की ओर से खरसावां के अंतिम सीमा की पहाड़ियों की तलहटी में स्थित रायजेमा गांव में इसका प्रयास व्यापक स्तर पर शुरू किया गया है. जिसमें किसानों को एकजुट कर देसी हल्दी उत्पाद की प्रोसेसिंग कराई जा रही है और पैकेजिंग मैटेरियल के साथ-साथ पैकिंग मशीन भी उपलब्ध कराई गई है. इसके साथ ही रांची के सरकारी फूड लेबोरेटरी में उत्पादित हल्दी की रासायनिक जांच भी कराई गई. जिसमें खरसावां-कुचाई से उत्पादित देसी हल्दी की गुणवत्ता बाजार में मिलने वाली सामान्य हल्दी की अपेक्षा काफी बेहतर और स्वास्थ्यवर्धक पाई गई. जिसके अनुसार आमतौर पर मिलने वाली हल्दी में 2 प्रतिशत के आसपास करक्यूमिन की मात्रा होती है. लेकिन खरसावां-कुचाई की हल्दी में करक्यूमिन की मात्रा 7 प्रतिशत से अधिक पाई गई.



रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर देसी हल्दी
हल्दी का सक्रिय तत्व करक्यूमिन ह्रदय रोग से सुरक्षा करने के साथ-साथ दर्द में भी आराम दिलाता है. इंसुलिन का लेवल बनाए रखते हुए डायबिटीज में भी यह काफी लाभकारी होता है. जो एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट भी है. वर्तमान में चल रहे कोरोना कहर में आयुर्वेदिक डॉक्टरों की ओर से सुझाए गए गोल्डन मिल्क प्रोसेस के माध्यम से यह कोरोना के संक्रमण से सुरक्षा के लिए बेहतर इम्यूनिटी बढ़ाने वाला बताया जा रहा है. ट्राईफेड की ओर से खरसावां-कुचाई की देसी हल्दी को देश सहित विदेशों के भी बाजार में उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है.

Last Updated : May 15, 2021, 4:41 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details