सरायकेला: जिला के चांडिल प्रखंड क्षेत्र के गांगुडीह फुटबॉल मैंदान में रविवार को संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन चांडिल अनुमंडल द्वारा आदिवासी आक्रोश जनसभा का आयोजन किया गया. इस आक्रोश जनसभा में चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के अलावा बोड़ाम, पटमदा, गम्हारिया, घाटशीला, सरायकेला, राजनगर, कुचाई, खरसावां, बुंडू, तमाड़, रांची और पुरूलिया, बाघमुंडी आदि क्षेत्र से आदिवासी समाज के महिला पुरूष पारंपरिक वेशभूषा में आक्रोश जनसभा में पहुंचे.
आक्रोश जनसभा में आदिवासियों ने भरी हुंकार, कुड़मियों को एसटी दर्जा की मांग का किया पुरजोर विरोध - etv news
सरायकेला में आदिवासी सामाजिक संगठन ने आक्रोश जनसभा का आयोजन किया. इसमें उन्होंने कुड़मी समाज द्वारा एसटी का दर्जा देने की मांग का विरोध किया. इसमें काफी संख्या में महिला और पुरूष दोनों शामिल हुए.
![आक्रोश जनसभा में आदिवासियों ने भरी हुंकार, कुड़मियों को एसटी दर्जा की मांग का किया पुरजोर विरोध Tribals protested in Seraikela](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/1200-675-18674644-thumbnail-16x9-ser.jpg)
आदिवासी समुदाय ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए आक्रोश रैली निकालकर जनसभा तक पहुंचे. वहीं आक्रोश जनसभा में आदिवासीयों ने हुंकार भरी और कुड़मी को एसटी सूची का दर्जा देने की मांग का विरोध किया. वक्ताओं ने कहा कि कुड़मियों द्वारा आदिवासियों के हक और अधिकार को गहरी साजिश के तहत छीनने का षड्यंत्र रचा जा रहा है. वहीं कुड़मियों द्वारा आदिवासी वीर शहीदों को अपना बताकर इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है.
वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार अगर कुड़मी समुदाय को एसटी में शामिल करती है तो मूल आदिवासियों के हक और अधिकारों और राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर कुड़मियों का कब्जा होगा. कुड़मी लोगों की नजर अब आदिवासियों की जमीन जायदाद पर टिकी है. साथ ही आदिवासियों की संवैधानिक पद वार्ड सदस्य, मुखिया, पंसस से लेकर एमएलए और एमपी को हाईजैक करने की मंशा है, जिसे आदिवासी समाज कतई बरदाश्त नहीं करेगा.
कुर्मी जाति को हिंदू का दर्जा तो आदिवासी कैसे हो सकता-गीताश्री उरांव:चांडिल डैम परिसर में आदिवासी समाज के लोगों ने महासभा का आयोजन किया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव उपस्थित हुई. गीताश्री उरांव ने युवाओं में जोश भरते हुए कहा कि कुर्मी जाति को हिंदू का दर्जा दिया गया है, वह आदिवासी कभी हो ही नहीं सकता. ऐसे में जबरन आदिवासियों के अधिकार को छीनने का प्रयास ना करें. उन्होंने यह भी कहा कि हमारे ही बीच के कुछ लोग हमारे अपने अधिकार से वंचित करने में लगे हैं. वहीं एक सवाल के जवाब में गीताश्री उरांव ने राज्य सरकार को भी आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की चुप्पी बहुत कुछ कहती है.