सरायकेला: बीएस-4 और बीएस-6 गाडियों के कारण पहले से ही उत्पन्न मंदी और कोरोना वायरस के कारण मंदी की दोहरी मार पड़ी है. नौकरी के संकट से जूझ रहे औद्योगिक क्षेत्र के मजदूरों के समक्ष कोरोना की वजह से घोषित लॉकडाऊन ने और गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी है. कोरोना संक्रमण के कहर से बचने के लिए यहां की कई कंपनियों ने काम करने वाले दो लाख स्थाई और अस्थाई मजदूरों को छुट्टी दे दी है.
जानकारी के अनुसार, बीएस-4 और बीएस-6 गाड़ियों के चक्कर में पिछले आठ-नौ महीने से नई गाड़ियां नहीं बन रही थी. काम के अभाव में औद्योगिक इकाईयां रुग्णावस्था में पहुंच गई थी, लेकिन अब कोरोना की वजह से घोषित लॉकडाउन ने इन इकाईयों को बंदी के कगार पर पहुंचा दिया है. जब इकाईयां ही नहीं चलेगी, तो मजदूरों का वेतन कैसे मिलेगा.
बताया जाता है कि मदी की वजह से बंदी के कगार पर पहुंचे प्रोपराईटरों के समक्ष नाम बड़ा और दर्शन छोटा वाली स्थिति उत्पन्न हो गई है. अब उनकी आंतरिक स्थिति का आकलन करना मुश्किल प्रतीत हो रहा है. क्योंकि अभी तक कामगारों की कम संख्या वाले संबंधित प्रोपराईटरों के द्वारा अपनी इकाईयों का संचालन किया जा रहा था, लेकिन अब उनके समक्ष मजदूरों को वेतन का भुगतान करना सबसे बड़ी परेशानी का कारण बन चुका है.
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सरायकेला जिले के औधोगिक क्षेत्र के उद्यमी अब वर्तमान परिस्थिति में उपयोग की जाने वाली बिजली का ही बिलिंग करने की मांग कर रहे हैं. इस के लिए कुछ औद्योगिक संगठनों के द्वारा बिजली प्रदान करने वाली कंपनियों जेबीवीएनएल, जुस्को और डीवीसी को पत्र भेजा गया है, जिसमें उद्यमियों का फिक्स चार्ज, पावर फैक्टर पेनॉल्टी हटाने का आग्रह किया गया है. यह मंदी और लॉकडाउन की मार झेल रहे उद्यमियों के लिए राहत भरा कदम भी होगा. उद्यमियों का कहना है कि उद्यमी को भी आम व्यक्ति के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए.