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NGT के आदेश को ठेंगा दिखा रहा नगर निगम, कोर्ट में जनहित याचिका दायर - Seraikela Municipal Corporation

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और एनजीटी के आदेश को भी नगर निगम ने ताख पर रख दिया है. एनजीटी के आदेश के अनुसार जल स्रोत से 500 मीटर की दूरी तक कचरे का निष्पादन नहीं किया जा सकता है, लेकिन नगर निगम खुद नदी को प्रदूषित कर रही है.

सरायकेला नगर निगम फैला रहा कचरा
Seraikela Municipal Corporation

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Published : Mar 5, 2020, 1:49 PM IST

सरायकेला: जिले के आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में नगर निगम की ओर से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही है. यहां नगर निगम खुद नदी को प्रदूषित करने में जुटी है.

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कचरे का निष्पादन

सरायकेला नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या 28 में खरकई नदी किनारे नगर निगम की ओर से लगातार कई दिनों से कचरा डंप किया जा रहा है. जिससे न सिर्फ नदी प्रदूषित हो रही है, बल्कि नदी के अस्तित्व पर भी अब खतरा मंडराने लगा है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और एनजीटी के आदेश को भी नगर निगम ने ताख पर रख दिया है. एनजीटी के आदेश के अनुसार जल स्रोत से 500 मीटर की दूरी तक कचरे का निष्पादन नहीं किया जा सकता है, लेकिन नगर निगम खुद नदी को प्रदूषित कर रहा है.

नदियों में जारी है प्रदूषण

नदियों के प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से एनजीटी की ओर से सभी जिलों में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया है. इस टास्क फोर्स में राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अधिकारी मुख्य रूप से शामिल होते हैं और समय-समय पर नदियों का अवलोकन कर नदी किनारे कचरा फेकने वालों को चिन्हित कर उन पर कार्रवाई की अनुशंसा करती है. एनजीटी के गाइड लाइन पर प्रदूषण नियंत्रण परिषद की ओर से टास्क फोर्स का गठन कर लिया गया है, लेकिन यह टास्क फोर्स अब पूरी तरह से निष्क्रिय नजर आ रहा है और नदियों में प्रदूषण जारी है.

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कोर्ट में दायर की गयी जनहित याचिका

नगर निगम की ओर से लगातार नदी को प्रदूषित किए जाने की समस्या को लेकर सामाजिक संगठन जनकल्याण मोर्चा की ओर से मामले को गंभीरता से लेते हुए नगर निगम को नोटिस भेजा गया है. इससे पहले जनकल्याण मोर्चा झारखंड हाई कोर्ट में नगर निगम की ओर से साफ-सफाई अभियान नहीं चलाने को लेकर एक जनहित याचिका दायर कर चुका है. साथ ही मोर्चा ने नगर निगम के विरुद्ध अवमानना का भी मामला दायर किया है.

इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता और जनकल्याण मोर्चा के संरक्षक अधिवक्ता ओम प्रकाश ने बताया कि जनहित याचिका दायर करने के बाद नगर निगम की ओर से हाई कोर्ट को झूठी जानकारियां प्रदान की जा रही है, जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर अवमानना का मामला दायर किया गया है.

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