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आम की पैदावार में सरायकेला ने बनाई खास पहचान, दूसरे राज्यों में बढ़ रही है मांग - सरायकेला में आम की बंपर पैदावार

सरायकेला-खरसावां जिला आम के उत्पादन के लिए भी जाना जा रहा है. जिला मुख्यालय से सटे सरकारी उद्यान में लगे लगभग 10 अलग-अलग प्रजातियों के रसीले आम अब दूसरे राज्यों में भेजे जा रहे हैं.

mango yield in Seraikela
आम की पैदावार में भी अपनी पहचान बना रहा सरायकेला

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Published : May 24, 2021, 11:21 AM IST

Updated : May 24, 2021, 11:40 AM IST

सरायकेला: फलों के राजा आम का नाम सुनते ही बिहार, यूपी और बंगाल के आम बागानों की याद ताजा हो उठती है. झारखंड में भी संथाल परगना के कुछ हिस्सों में आम की अच्छी पैदावार होती है. छोटानागपुर और कोल्हान प्रमंडल में आम की पैदावार नहीं के बराबर होती है. लेकिन कोल्हान के सरायकेला जिले से आम बिहार और झारखंड के दूसरे जिलों में सप्लाई हो रहा हैं. ये जानकर थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा, लेकिन ये सच है.

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दूसरे शहर भेजे जा रहे आम

आमतौर पर सरायकेला-खरसावां जिला छऊ नृत्य की शैली के लिए विख्यात है, मगर अब ये जिला आम के उत्पादन के लिए भी जाना जा रहा है. जिला मुख्यालय से सटे सरकारी उद्यान में लगे लगभग 10 अलग-अलग प्रजातियों के रसीले आम अब दूसरे राज्यों में भेजे जा रहे हैं. इनमें से मुख्य रूप से मालदह, लंगड़ा, जर्दालू और बंबई आम बिहार के आरा और बक्सर के अलावा राजधानी रांची और जमशेदपुर की मंडियों में भेजे जा रहे हैं.

आमतौर पर ये सभी प्रजातियां बिहार में पाई जाती हैं, लेकिन झारखंड के सरायकेला- खरसावां जिले में अब इन आमों की पैदावार हो रही है जो एक सुखद अनुभूति है. पूर्व के कृषि पदाधिकारी की दूरदर्शिता से ऐसा संभव हो सका है. इस सरकारी बगीचे में आम के अलावा तालाब और खेती योग्य भूमि भी हैं, जिसकी नीलामी में सरकार को अच्छा राजस्व भी मिला है और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. हालांकि मौसम और कोरोना वायरस के संक्रमण की मार बगीचा लेने वाले व्यापारियों को उठानी पड़ रही है.


मछली पालन की भी होगी शुरुआत

व्यापारियों ने बताया कि विभागीय पदाधिकारी काफी सहयोग कर रहे हैं. उन्हें भरोसा है कि इस साल के नुकसान की भरपाई अगले फसल में जरूर हो जाएगी. कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि अगर सरकार और सरकारी तंत्र कोल्हान के दूसरे जिलों में भी इस तरह के बागीचों का निर्माण करे, तो झारखंड भी आम की फसल के मामले में आत्मनिर्भर हो सकता है. वहीं सरकारी बगीचा नीलामी में लेने वाले व्यापारी अब तालाब में मछली पालन और खेती करने की भी योजना बना रहे हैं, ताकि आम में हुए नुकसान की भरपाई इन स्रोतों से की जा सके.

Last Updated : May 24, 2021, 11:40 AM IST

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