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उड़िया भाषा के प्रचार-प्रसार में इनका है विशेष योगदान, अब राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए हुई चयनित - आदित्यपुर उड़िया विद्यालय

सरायकेला की संध्या प्रधान ने उड़िया भाषा के प्रचार-प्रसार में अलग मुकाम हासिल किया है. उन्होंने गरीब बेसहारा बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने जैसे कई शिक्षण कार्यों में योगदान दिया है. उनके महत्वपूर्ण कार्यों को देखते हुए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है.

राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित संध्या प्रधान

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Published : Aug 14, 2019, 4:52 PM IST

सरायकेलाः जिले के उत्क्रमित राजकीय उड़िया मध्य विद्यालय की प्रधानाचार्य संध्या प्रधान को साल 2019 के राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. संध्या प्रधान को 17 अगस्त को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार दिया जाएगा. संध्या प्रधान ने उड़िया भाषा के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय काम किया है. महिलाओं के शिक्षा स्तर को बढ़ाने में उनका खासा योगदान है.

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पुरस्कार के लिए नामित होने के साथ 55 साल की संध्या प्रधान ने शिक्षकों का मान बढ़ाया है. उन्होंने उड़िया भाषा में सिलेबस के आधार पर पुस्तक तैयार करने, महिला शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने जैसे कई अहम कार्य किए हैं. उन्होंने शिक्षा जगत में अपने जीवन की शुरूवात महिला शिक्षा से की. साल 2010 में बतौर प्रभारी शिक्षिका आदित्यपुर स्थिति 2 कमरे के खंडहरनुमा विद्यालय में पदस्थापित हुई. अपने आत्मबल से 2014 में सरकारी नीति का भरपूर फायदा उठाते हुए, 20 कमरे के विद्यालय का निर्माण करवाया.

झारखंड से 3 शिक्षकों का हुआ है चयन

राज्य के 3 शिक्षकों को मानव संसाधन विभाग ने राष्ट्रपति शिक्षक पुरस्कार के लिए चयन किया गया है. जिनमें सरायकेला से उत्क्रमित राजकीय उड़िया मध्य विद्यालय की प्रधानाचार्य संध्या प्रधान, मध्य विद्यालय विवेकानंद देवघर की शिक्षिका श्वेता शर्मा और चतरा उत्क्रमित मध्य विद्यालय के शिक्षक मनोज कुमार चौबे का नाम शामिल है. यह तीनों शिक्षक आगामी 17 अगस्त को दिल्ली में एनसीईआरटी के पदाधिकारी के समक्ष अपना प्रेजेंटेशन देंगे. जिसके बाद इन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है.

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सरायकेला में ओड़िया भाषा का है प्रभाव

ओडिशा सरकार के अधीनस्थ रहने के कारण आज भी सरायकेला में उड़िया भाषा का प्रभाव है. जिस कारण यहां गिने चुने उड़िया विद्यालय चल रहे हैं. संध्या प्रधान की पहल से उड़िया विद्यालय के बच्चों की कुशल प्रतिभा के साथ, हिंदी सिलेबस को उड़िया में रूपांतरित कर, सरायकेला को उड़िया भाषा और झारखंड संस्कृति के साथ जोड़ने का काम किया है. प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर आदित्यपुर उड़िया विद्यालय को आवासीय बनाया, जिससे गरीब बच्चों को आधुनिक स्तर की शिक्षा दी जा सके.

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