सरायकेला: खरसावां और हरिभंजा में बुधवार को प्रभु जगन्नाथ की वार्षिक बाहुडा रथ यात्रा श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हो गई. बुधवार को देर शाम गुंडिचा से प्रभु जगन्नाथ की बाहुड़ा यात्रा निकाली गई. इस दौरान प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा और सुदर्शन को विशेष व्यंजन बनाकर भोग लगाया गया. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के विग्रहों को पुरोहित और सेवायतों ने कंधे में लेकर गुंडिचा मंदिर से राजवाड़ी परिसर स्थित प्रभु जगन्नाथ के मंदिर तक पहुंचाया.
कोविड़-19 को लेकर इस वर्ष रथ यात्रा नहीं निकाली गई. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा रथ के बदले सेवायतों के कंधे पर सवार होकर मंदिर में पहुंचे. सबसे पहले सुदर्शन की प्रतिमा थी. इसके पश्चात बलभद्र, फिर सुभद्रा माता की प्रतिमा थी. सबसे अंतिम में प्रभु जगन्नाथ थे. गुंडिचा मंदिर को प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन का जन्म स्थान माना जाता है. गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर तक चतुर्था मूर्ति को ले जाने के दौरान लोगों ने दूर से ही दर्शन किए. श्रीमंदिर पहुंचाकर चतुर्था मूर्ति को रत्न सिंहासन में बैठा कर पूजा अर्चना की गई.