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सरायकेलाः अवैध तरीके से सरकारी राशन लेने वालों के खिलाफ जांच शुरू, 40 रुपए प्रति किलो की दर से देना होगा हर्जाना - अवैध राशन कार्ड सरायकेला

सरायकेला में अवैध रूप से राशन कार्ड बनाने वालों पर अब जिला आपूर्ति विभाग नकेल कसने की तैयारी में है. विभाग ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अवैध राशन कार्ड को रद्द करने का काम करेगी.

District supply department will cancel illegal ration card in Seraikela
जांच करते अधिकारी

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Published : Jun 6, 2020, 10:30 AM IST

सरायकेला: जिले में कोविड-19 संक्रमण काल में सरकार की ओर से जरूरतमंद लोगों को राशन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से अनाज प्रदान किया गया है, लेकिन इस दौरान कई सक्षम लोगों ने भी अवैध राशन कार्ड का निर्माण करवाया है, जिनके विरुद्ध अब जिला आपूर्ति विभाग जांच करने के साथ ही कार्रवाई की भी तैयारी कर रही है.

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फिलहाल सरायकेला जिले के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत अवैध राशन कार्ड जांच प्रक्रिया प्रारंभ की जा चुकी है. प्रखंड क्षेत्र में संचालित 220 जन वितरण प्रणाली दुकान में शामिल डुप्लीकेट और अपात्र कार्डधारियों को चिन्हित करने के लिए नियुक्त जांच पदाधिकारी इन लोगों से स्पष्टीकरण लेंगे. इसके तहत विगत 6 माह से राशन नहीं लेने वाले लोगों को चिन्हित किया गया है. वहीं, इसके अलावा एक व्यक्ति के दो स्थानों पर अलग-अलग राशन कार्ड बनवाए जाने को डुप्लीकेट माना जा रहा है. इस प्रकार से जांच के बाद नकली और अपात्र कार्डधारियों के राशन कार्ड रद्द करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

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जिला आपूर्ति विभाग अवैध राशन कार्डधारकों से जुर्माना भी वसूलेगी. गलत तरीके से राशन कार्ड बनवाने और अनाज का उठाव किए जाने के एवज में लिए गए 40 रुपए प्रति किलो की दर से जुर्माना वसूल करेगी. इसके अलावा ऐसे कार्डधारकों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी.

8,910 अवैध और डुप्लीकेट राशन कार्ड किए गए हैं चिन्हित

गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत कुल 8,910 अवैध और डुप्लीकेट राशन कार्ड चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें जिला आपूर्ति विभाग की ओर से रद्द किया जाना है. यहां सैकड़ों ऐसे लोग हैं जो सरकार के लाभुकों के तय मानकों को पूरा नहीं करते और संपन्न परिवार से आते हैं, बावजूद इसके अवैध रूप से राशन कार्ड का बनवाकर सरकारी अनाज का उठाव कर रहे हैं. इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. ऐसे लोगों को चिन्हित किए जाने का जिम्मा सरकारी राशन डीलर को ही सौंपा गया था और वह भी इस मामले में फिसड्डी साबित हो रहे हैं.

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