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कोरोना काल में बढ़ा आयुर्वेद दवाओं पर विश्वास, लोग बढ़ा रहे हैं रोग प्रतिरोधक क्षमता

कोरोना वायरस का इलाज अभी पूरे विश्व में नहीं है लेकिन जिस तरह भारत में आयुर्वेद से इलाज के लिए दवा का परीक्षण चल रहा है. निश्चित रूप से भारत इस रिसर्च में सफल होगा. वहीं अब लोग कोरोना से लड़ने के लिए अपने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा रहे हैं और इसे बढ़ाने में लोग आयुर्वेदिक दवाओं का सहारा ले रहे हैं.

importance of Ayurveda
आयुर्वेद दवाओं पर बढ़ा विश्वास

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Published : Jun 3, 2020, 10:27 PM IST

सरायकेला: कोविड-19 महामारी ने आज पूरे विश्व में अपना पांव पसार लिया है इसे लेकर दुनिया भर में मेडिकल इमरजेंसी है. लाखों लोग अकाल काल के गाल में समा जा रहे हैं. भारत सहित पूरे विश्व में वैक्सीन पर ट्रायल लगातार जारी है. लेकिन वैक्सीन पूरी तरह डेवलप होने में अभी समय लगेगा. भारत सरकार के दिशा-निर्देश में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research) CSIR और भारत सरकार आयुष मंत्रालय आयुर्वेद पर रिसर्च शुरू कर चुकी है.

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सरायकेला-खरसावां जिले में भी लोग कोरोना संकटकाल में भारत के वर्षों पुराने आयुर्वेद चिकित्सा पर भरोसा जता रहे हैं. कोरोना वायरस का इलाज अभी पूरे विश्व में कहीं नहीं है और वर्तमान समय में कोरोना वायरस से बचाव ही इसका सफल इलाज माना जा रहा है. आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने वाले वैद्य भी मानते हैं कि कोरोना वायरस से घबराने के बजाय आत्मबल को बढ़ाएं रखना चाहिए. वहीं इससे संक्रमण होने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता ह्रास होता है. ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना काफी महत्वपूर्ण है.

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वैसे तो कोरोना वायरस का कोई एक लक्षण नहीं है. वहीं लगभग पचास फीसदी केस में कोरोना का कोई लक्षण नहीं दिख रहा है. लेकिन डॉक्टरों के अनुसार कोरोना संक्रमित होने पर सबसे पहले सूखी खांसी और बाद में गीली खांसी सर्दी के साथ शरीर का तापमान बढ़ना लक्षण के तौर पर दिखाई देता है. ऐसे में आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने वाले वैद्य मानते हैं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होने के कारण वायरस का अटैक सबसे पहले फेफड़े, श्वास नली, लीवर और किडनी समेत प्रमुख अंग पर होता है.

बचने के लिए आयुर्वेदिक उपाय

कोरोना से बचने के लिए आपको रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना होगा. उसके लिए सबसे पहले आयुर्वेद का सहारा लें. जैसे गिलोय, शुद्ध शिलाजीत, काली तुलसी, नागौरी अश्वगंधा, शतावर और प्रवाल पिष्टी आदि का प्रयोग करें. आयुर्वेदिक दवाओं के मिश्रण से निर्मित अमृतारिष्ट, दशमूलारिष्ट और लोहासव आदि का सेवन करना चाहिए. इन्हें मात्रा अनुसार 10 मिलीलीटर से 20 मिलीलीटर संभाग पानी दिन में दो बार भोजन के बाद करना चाहिए.

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सुखी खांसी होने पर सोंठ, पीपली, काली मिर्च, मुलहठी, कट करंज तुलसी और वसाका आदि लेने से काफी फायदा होता है. जबकि दवाओं के मिश्रण से बने तालिसादि चूर्ण या सितोपलादि चूर्ण 2 से 5 ग्राम की मात्रा में शहद और गर्म पानी के साथ लेने पर काफी फायदा होता है. गीली खांसी होने पर हर्बल वसाका दिन में तीन बार दो-दो चम्मच गर्म पानी के साथ लेने से भी काफी राहत मिलता है.

कोरोना संक्रमण के इलाज में मुख्य रूप से इन दवाओं का सहारा लिया जा सकता है.
कुनैन परिजात गिलोय काली तुलसी चित्रकमूल कट करंज अमृतारिष्ट दशमूलारिष्ट लोहासव मल्ल सिंदूर
जुड़ी ताप कंटक कार्यरिश्त स्वास चिंतामणि रस हर्बल वसाका तालीसदी चूर्ण सितोपलादि चूर्ण अभ्रक (सत पुटी) प्रवाल पिष्टि
Note: इन आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन आयुर्वेद चिकित्सक या वैद्य के परामर्श से करें.

इस प्रकार भी कम कर सकते हैं कोरोना संक्रमण

कुछ लोगों का दावा है कि कोरोना वायरस को काटने का सूत्र आयुर्वेद में वर्णित है, जो कि पूरी तरह वैज्ञानिक है. आयुर्वेद के हिसाब से प्रत्येक खाद्य वस्तु के गुण बताए गए हैं. जैसे हर एक खाद्य पदार्थ की अपनी प्रकृति के अनुसार या तो वह कफ नाशक है या फिर कफ वर्धक है. जिसे कोरोना है उसे एक बंद कमरे में क्वॉरेंटाइन करके उसे कफ नाशक चीजों का सेवन कराना होता है.

'नो साइड इफेक्ट' के कारण लोगों को है भरोसा

आयुर्वेद के जनक भारत में वर्षों से इस चिकित्सा पद्धति का प्रयोग पौराणिक काल से ही किया जा रहा है. आयुर्वेद चिकित्सा में सबसे अच्छी बात है कि इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं होते. यानी यह इलाज सभी व्यक्ति के लिए अनुकूल होता है. ऐसे में अब लोग इस पर खुलकर भरोसा कर रहे हैं.

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भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कोविड-19 के इलाज में आयुर्वेद को कारगर बताने से लोगों में आयुर्वेद के प्रति एक तरफ जहां भरोसा जगा है. वहीं लोग अब पौराणिक काल से चले आ रहे आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अपनाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ स्वास्थ्य रक्षा भी कर रहे हैं.

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