सरायकेला: कोविड-19 महामारी ने आज पूरे विश्व में अपना पांव पसार लिया है इसे लेकर दुनिया भर में मेडिकल इमरजेंसी है. लाखों लोग अकाल काल के गाल में समा जा रहे हैं. भारत सहित पूरे विश्व में वैक्सीन पर ट्रायल लगातार जारी है. लेकिन वैक्सीन पूरी तरह डेवलप होने में अभी समय लगेगा. भारत सरकार के दिशा-निर्देश में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research) CSIR और भारत सरकार आयुष मंत्रालय आयुर्वेद पर रिसर्च शुरू कर चुकी है.
सरायकेला-खरसावां जिले में भी लोग कोरोना संकटकाल में भारत के वर्षों पुराने आयुर्वेद चिकित्सा पर भरोसा जता रहे हैं. कोरोना वायरस का इलाज अभी पूरे विश्व में कहीं नहीं है और वर्तमान समय में कोरोना वायरस से बचाव ही इसका सफल इलाज माना जा रहा है. आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने वाले वैद्य भी मानते हैं कि कोरोना वायरस से घबराने के बजाय आत्मबल को बढ़ाएं रखना चाहिए. वहीं इससे संक्रमण होने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता ह्रास होता है. ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना काफी महत्वपूर्ण है.
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वैसे तो कोरोना वायरस का कोई एक लक्षण नहीं है. वहीं लगभग पचास फीसदी केस में कोरोना का कोई लक्षण नहीं दिख रहा है. लेकिन डॉक्टरों के अनुसार कोरोना संक्रमित होने पर सबसे पहले सूखी खांसी और बाद में गीली खांसी सर्दी के साथ शरीर का तापमान बढ़ना लक्षण के तौर पर दिखाई देता है. ऐसे में आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने वाले वैद्य मानते हैं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होने के कारण वायरस का अटैक सबसे पहले फेफड़े, श्वास नली, लीवर और किडनी समेत प्रमुख अंग पर होता है.
बचने के लिए आयुर्वेदिक उपाय
कोरोना से बचने के लिए आपको रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना होगा. उसके लिए सबसे पहले आयुर्वेद का सहारा लें. जैसे गिलोय, शुद्ध शिलाजीत, काली तुलसी, नागौरी अश्वगंधा, शतावर और प्रवाल पिष्टी आदि का प्रयोग करें. आयुर्वेदिक दवाओं के मिश्रण से निर्मित अमृतारिष्ट, दशमूलारिष्ट और लोहासव आदि का सेवन करना चाहिए. इन्हें मात्रा अनुसार 10 मिलीलीटर से 20 मिलीलीटर संभाग पानी दिन में दो बार भोजन के बाद करना चाहिए.
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