सरायकेला: राज्य समेत सरायकेला जिले के बालू घाटों में बालू का उठाव 10 जून से बंद हो गया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का जिला खनन विभाग ने फरमान पर अमल करते हुए बालू का उठाव 10 जून से बंद करा दिया है. जिला खनन विभाग ने जिले के तीन बालू घाट संचालकों को पत्र के माध्यम से बालू उत्खनन 15 अक्टूबर तक बंद रखने के देश से अवगत कराया है, लेकिन क्या सच में एनजीटी के आदेश का अमल होता है ? और क्या सच में बालू का उठाव पूरी तरह बंद रहता है? एनजीटी के आदेश के बाद भी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. सरायकेला- खरसावां जिले के दर्जनों बालू घाटों पर एनजीटी रोक के बावजूद बालू का उठाव किया जाता है. ऐसे में एनजीटी का आदेश बालू माफियाओं के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं होता दिख रहा है.
क्या है एनजीटी का आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश 17 अगस्त 2016 के मुताबिक, मानसून के दौरान नदियों में बालू का उठाव नहीं करना है. एनजीटी के अनुसार मानसून के दौरान नदियां उफनाई ही रहती है, इस दौरान नदियों में बालू का ठहराव होता है, साथ ही नदियों का कटाव भी रुकता है. लिहाजा एनजीटी के आदेश के मुताबिक इस दौरान न ही बालू का उठाव होगा और न ही इन बंदोबस्त घाट से वैधानिक तरीके से बालू खनन किया जाएगा. लेकिन एनजीटी का यह आदेश केवल कागजों पर ही सिमट कर रह जाता है. ऐसा नहीं है कि जिला खनन विभाग एनजीटी के आदेश को लेकर सतर्क नहीं है. विभाग की ओर से समय-समय पर रोक को लेकर कार्रवाई किए जाने का भी दावा किया जाता है, लेकिन कार्रवाई के दौरान जिला खनन विभाग के हाथ खाली रहते हैं और कार्रवाई के कुछ दिन तक माफिया शांत रहने के बाद फिर से सक्रिय हो जाते हैं. रात के अंधेरे में नदी से बालू का जमकर उठाव होता है.
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जिले में तीन बालू घाटों की है बंदोबस्ती
सरायकेला-खरसावां जिले में 2 दर्जन से भी अधिक बालू घाट हैं. जिनमें जिला खनन विभाग की ओर से महज 3 बालू घाटों की बंदोबस्ती की गई है, जहां से बालू का उठाव किया जाता है. इसके बाद अन्य सभी घाटों से अवैध तरीके से बालू का उठाव और जमाव किया जाता है. 10 जून से प्रतिवर्ष एनजीटी का फरमान जारी होता है, इससे पहले 2 माह पूर्व से ही बालू माफिया जमकर बालू का खनन किया जाता है और बालों का स्टॉक जमा किया जाता है, ताकि जब एनजीटी की रोक लगे तो ज्यादा कीमतों पर बालों की बिक्री की जा सके.
जिले में बालू के 11 लाइसेंसी स्टॉकिस्ट हैं
सरायकेला जिले में तीन बालू घाट बंदोबस्त के बाद इन घाटों से बालू उठाव कर स्टॉक करने का लाइसेंस जिले के कुल 11 स्टॉकिस्ट के पास जिला खनन विभाग ने दिया है. सूत्र बताते हैं कि ये 11 स्टॉकिस्ट भी 10 जून से लेकर 15 अक्टूबर तक स्टॉक में जमा किए गए बालू को जमकर ज्यादा कीमतों पर बेचते हैं, लिहाजा ऐसे में निर्माण और सिविल कार्य का बजट बढ़ता है.
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विकास योजनाएं प्रभावित
निर्माण और विकास कार्यों में बालू की अहम भूमिका है. ऐसे में बालू की अनुपलब्धता मानो विकास कार्यों पर ब्रेक लगाती है. वहीं बालू उठाव बंद होने और इससे निर्माण कार्य प्रभावित होने के कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हजारों लोग बेरोजगार भी हो जाते हैं. अनुमानित आंकड़े के मुताबिक जिले में अरबों रुपए के विकास कार्य चल रहे हैं, जो बालू की अनुपलब्धता के कारण प्रभावित होते हैं.
कोरोना और एनजीटी के रोक से ठेकेदारों की बढ़ी है मुश्किल
प्रतिवर्ष एनजीटी जून से अक्टूबर तक बालू खनन पर रोक लगाती है. लिहाजा सरकारी कार्य करने वाले ठेकेदार यह मानकर चलते हैं कि 12 महीने के काम को उन्हें 9 महीने के अंदर पूरा कर लेना है, नहीं तो इस 3 महीने के अवधि में ऊंचे दर पर बालू की खरीदारी करनी पड़ती है. ऐसे में निर्माण कार्य की लागत बढ़ जाती है और कार्य कराने वाले ठेकेदार के कमीशन पर इसका असर पड़ता है. सरकारी ठेकेदार बताते हैं कि चोरी छिपे बालू उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन बिना चालान सरकारी और बड़े योजनाओं में इसका लाभ नहीं मिल पाता. छोटे और घरेलू सिविल कार्य में बिना चालान के बालू का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन सरकारी योजनाओं के लिए यह फिट नहीं बैठता. इधर, 3 महीने कोरोना की बंदी और 3 महीने बालू उठाव पर रोक से सरकारी निर्माण कार्य बाधित हो रहे हैं और सरकारी ठेकेदार भी काफी प्रभावित हो रहे हैं.
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जिले में कुल 26 बालू घाट
जिले में कुल 26 बालू घाट हैं, लेकिन इनके अलावा कई ऐसे बालू घाट भी हैं जिनका बंदोबस्त जिला खनन विभाग की ओर से नहीं किया जाता. ऐसे में इन बालू घाटों से बे रोक-टोक खनन माफिया सालों भर जमकर बालू का उठाव करते हैं.
जिले के क्षेत्र के घाटों से होता है अवैध उत्खनन
सरायकेला नगर क्षेत्र
1. संजय नदी
2. मजना घाट
3. राज नगर
ईचागढ़ और चांडिल अनुमंडल का क्षेत्र
1. कपाली डोबो
2. गौरी घाट
3. कंदरबेरा
4. शहर बेड़ा
5. जारगोडीह