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3 साल में बनकर तैयार होगा ईचा डैम, 25 सालों से हो रहा था निर्माण का विरोध

सरायकेला में स्वर्णरेखा परियोजना के तहत प्रस्तावित ईचा डैम के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. इस डैम के निर्माण से शहर के आबादी को भरपूर पानी मिलेगा और खेती के लिए भी पानी की किल्लत नहीं होगी.

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Published : Aug 17, 2019, 10:43 AM IST

सरायकेला: झारखंड और ओडिशा के दो लाख हेक्टेयर कृषि भूमि संचित किए जाने को लेकर स्वर्णरेखा परियोजना के तहत प्रस्तावित ईचा डैम के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. इस डैम के निर्माण से शहर के आबादी को भरपूर पानी मिलेगा और खेती के लिए भी पानी की किल्लत नहीं होगी.

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स्वर्णरेखा परियोजना के तहत प्रस्तावित अति महत्वाकांक्षी ईचा डैम निर्माण की प्रक्रिया अब जल्द शुरू की जाएगी. पिछले दिनों डैम निर्माण का टेंडर फाइनल हो गया है, कुल 970 करोड़ की लागत से बनने वाले इस डैम का निर्माण भोपाल की कंपनी दिलीप बिल्डकॉन को आवंटित किया गया है. लगातार विरोध और विस्थापितों के आंदोलन के कारण डैम निर्माण अधर में लटका था. डैम निर्माण के पक्ष में हाईकोर्ट ने फैसला दिया जिसके बाद स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना द्वारा डैम निर्माण का डीपीआर नए सिरे से तैयार कर टेंडर निकाला गया.

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3 साल में बनकर तैयार होगा डैम
970 करोड़ 42 लाख 897 हजार में ईचा डैम निर्माण की योजना बनायी गयी है. 2 माह पूर्व निकाले गए टेंडर विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद अब इसे फाइनल किया गया है. एकरारनामा के मुताबिक 3 साल में डैम का कार्य पूरा हो जाएगा नए डीपीआर के मुताबिक डैम में जल ग्रहण क्षमता 213 मीटर होगी जबकि इसकी पूरी क्षमता 225 मीटर तक रहेगी. इस डैम से गंजिया बराज में सालों भर पानी आएगा. इसका पानी झारखंड और ओडिशा के 2 लाख हेक्टेयर कृषि कार्य के लिए भूमि संचयन में भी प्रयुक्त होगा. इस महत्वाकांक्षी योजना से दोनों राज्य के लाखों किसानों को सालों भर खेती के लिए पानी उपलब्ध होगा.

25 वर्षों से विरोध के कारण लटका था निर्माण कार्य
लगभग 25 वर्ष पूर्व स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना के तहत चाईबासा से सटे ईचा में डैम निर्माण योजना प्रस्तावित था, लेकिन स्थानीय विस्थापितों द्वारा ईचा डैम निर्माण का लगातार विरोध किया जा रहा था. जिससे 25 सालों से ईचा डैम निर्माण अधर में लटका था. इधर इस डैम के निर्माण होने से कोल्हान के शहरों के एक बड़े आबादी को भरपूर मात्रा में पानी मिलेगा. जबकि कृषि के लिए यह डैम किसी वरदान से कम नहीं होगा.

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