सरायकेला: आदित्यपुर स्थित एनआईटी जमशेदपुर में उन्नत भारत अभियान के तहत कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस पहुंचे. कार्यक्रम में मौजूद एनआईटी जमशेदपुर के निदेशक करुणेश शुक्ला के द्वारा बहुत ही गर्मजोशी से महामहिम का स्वागत किया गया. यहां उन्होंने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की.
राज्यपाल रमेश बैस NIT जमशेदपुर के उन्नत भारत अभियान कार्यक्रम में हुए शामिल, उद्योग जगत से प्रकृति के संरक्षण की अपील
झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस उन्नत भारत अभियान कार्यक्रम में शामिल होने एनआईटी जमशेदपुर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने बढ़ते प्रदूषण और घटते कृषि योग्य भूमि पर चिंता जताई. इसके अलावा उन्होंने उद्योगपतियों से गांवों के विकास और प्रकृति के संरक्षण के लिए कदम उठाने की अपील की.
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झारखंड के सबसे बड़े औद्योगिक जिले में आयोजित उन्नत भारत अभियान कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने उद्योग जगत से लेकर उद्योग सचिव को भी सुझाव दिए. पूरे कार्यक्रम का अवलोकन करने के बाद उन्होंने कहा कि पूरे क्षेत्र के विकास के नाम पर नए- नए उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं. वहीं कृषि योग्य भूमि पूरी तरह से नगण्य होती जा रही है. राज्यपाल ने सवाल किया कि क्या उद्योग जगत की यह जिम्मेदारी नहीं है कि वह अपने मुनाफे के 2% के आधार पर कृषि योग्य भूमि या प्रतिक प्राकृतिक संपदाओं का पुनर्स्थापना करें. इसके अलावा उन्होंने सवाल किया कि जहां सीमेंट की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां और रोलिंग मिल जैसी कंपनियां बन रही हैं, जिससे प्रदूषण चरम पर होता है और प्रकृति पूरी तरह से नष्ट होती जाती है. उसे लेकर क्या जिम्मेदार विभाग का कर्त्तव्य प्रकृति को सुरक्षित रखने का नहीं है.
एकेडमिक सोशल रिस्पोंशबिलिटी विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि अब तक हम महात्मा गांधी के आत्मनिर्भर भारत के सपनों को पूरा नहीं कर पाएं हैं. यह तभी संभव है जब गांव आत्मनिर्भर होगा, हमें निस्वार्थ भाव से काम करना होगा. राज्यपाल ने उद्यमियों से अपील की वे झारखंड के नवनिर्माण में आगे आएं. उद्योगपति अपनी जिम्मेदारी को समझें. उन्होंने कहा कि आज गांव उजड़ रहे हैं ओर शहर आबाद हो रहे हैं. गांव को उजाड़कर ही औद्योगिक कारखाने लग रहे हैं, उद्योग लगने के कारण कृषि योग्य भूमि समाप्त हो रही है और पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. इसके बावजूद उद्यमी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन नहीं कर रहे हैं. इस बारे में हमें और उद्यमियों का सोचना होगा. जहां उद्योग धंधे बसे है वहां के आस-पास गांवों का तो कायाकल्प होना ही चाहिए. जब तक गांव का विकास नहीं तब तक देश का विकास नहीं हो सकता.