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खरकई और स्वर्णरेखा नदी पर मंडरा रहा खतरा! धड़ल्ले से बहाया जा रहा गंदा पानी - स्वर्णरेखा नदी पर मंडरा रहा खतरा

शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गंदगी और अतिक्रमण से नदियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. इसे लेकर जनहित याचिका दायर कर प्रदूषण रोकने की कवायद शुरू की गई

नदी पर मंडरा रहा खतरा

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Published : Aug 24, 2019, 10:51 AM IST

सरायकेलाः जिले के शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी ने जिले के लाइफलाइन माने जाने वाली खरकई और स्वर्णरेखा नदी को लगातार प्रदूषित कर रही है. नदियों में लगातार प्रदूषण बढ़ने से इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. इस रोकने के लिए वैसे तो कई उपाए किए जा रहे हैं बावजूद नदियों में गंदा पानी धड़ल्ले से बहाया जा रहा रहा.

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शहरी क्षेत्र के आवासीय कॉलोनी और औद्योगिक क्षेत्र से बहने वाले गंदे पानी ने नदियों के प्रदूषण स्तर को काफी बढ़ा दिया है. जिसके कारण नदियां अब धीरे-धीरे नालों में तब्दील हो रही हैं. वहीं सबसे ज्यादा खतरा औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले केमिकल युक्त गंदे पानी से है, जो न सिर्फ नदियों को प्रदूषित कर रहा है. बल्कि नदी के तटीय क्षेत्रों को भी अपनी चपेट में ले रहा है.

गंदे पानी को किया जा रहा ट्रीटमेंट
नदियों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने प्रदूषण रोकने के पुख्ता इंतजाम होने के दावे किए हैं. कोल्हान के एकमात्र प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय द्वारा शहरी समेत औद्योगिक क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में संयंत्र स्थापित होने के दावे किए जा रहे हैं. जिनके द्वारा गंदे पानी को ट्रीटमेंट कर नदी में बहाया जा रहा है, लेकिन इन सबसे अलग जमीनी हकीकत है कुछ और ही बयां करती है.

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य धीमा
शहरी समेत औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीटमेंट कर नदी में बहाए जाने को लेकर सरकार ने ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण की योजना बनाई है, लेकिन धीमी गति होने के कारण अब तक यह योजना पूरी तरह धरातल पर नहीं उतरी है. नतीजतन नदियों में गंदा पानी धड़ल्ले से बहाया जा रहा रहा.

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हाई कोर्ट में होगी जनहित याचिका दायर
इधर लगातार हो रहे नदियों के प्रदूषण और खासकर मूल स्वरूप से छेड़छाड़ और अतिक्रमण के खिलाफ सामाजिक संस्था जन कल्याण मोर्चा ने कानूनी लड़ाई लड़ने का मन बनाया है. मोर्चा के अध्यक्ष और अधिवक्ता ओमप्रकाश ने इस संबंध में बताया कि नदियों के संरक्षण को लेकर हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लेकर सरकार को निर्देशित किया है, बावजूद इसके नदियों का प्रदूषण और अतिक्रमण जारी है, इधर इस समस्या को लेकर अब मोर्चा झारखंड हाईकोर्ट में जल्द ही एक जनहित याचिका भी दायर करेगी.

बहरहाल, वक्त रहते यदि नदियों के प्रदूषण को कम नहीं किया गया, तो नदियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और इसका सीधा असर आम जनजीवन पर पड़ेगा. जिससे स्थिति और भयावह हो जाएगी.

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