सरायकेला: कोरोना काल और लॉकडाउन के कारण दुग्ध उत्पादक और पशुपालकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. लेकिन इस कठिन काल में सरायकेला जिला में बिहार राज्य की ओर से संचालित कम्फेड डेयरी वरदान साबित हुई है. डेयरी ने ना सिर्फ स्थानीय दुग्ध उत्पादकों को बाजार उपलब्ध कराया, बल्कि उन्हें पशुपालन की कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी प्रदान की है. स्थानीय कम्फेड डेरी के प्रयासों का नतीजा है कि आज जिला के कई दुग्ध उत्पादक और पशुपालक सीधे डेयरी से जुड़कर अपना व्यवसाय बढ़ा रहे हैं.
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दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति का किया गठन
कोरोना काल में प्रभावित हुए दुग्ध उत्पादक को राहत के साथ-साथ बाजार और व्यवसाय उपलब्ध कराने के उद्देश्य से डेयरी की ओर से विभिन्न स्थानों पर दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति गठित किए गए हैं. इन दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति से जुड़कर किसानों को निश्चित बाजार उपलब्ध हो गया और वे बेफिक्र होकर दुग्ध उत्पादन को आज बढ़ावा दे रहे हैं. इससे पूर्व जब ये स्थानीय दुग्ध उत्पादक डेयरी से नहीं जुड़े थे तो इन्हें निश्चित बाजार उपलब्ध नहीं हो पा रहा था. ऐसे में लॉकडाउन और कोरोना संकट में दुग्ध उत्पादकों को औने-पौने दाम पर दूध बेचने पड़ रहा था.
दुग्ध उत्पादकों को मिल रहा लाभ
इसके अलावा दूध को खराब होने से बचाने के लिए ये दुग्ध उत्पादक खोवा और पनीर भी बना रहे थे. वह भी बाजार में कम उपयोगिता होने के कारण या तो बिना बिके के खराब हो रहे थे या जबरन इन्हें कम कीमतों पर बेचना पड़ रहा था. लेकिन डेयरी के प्रयास से दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति से जुड़कर स्थानीय किसान और दुग्ध उत्पादकों को बड़ा लाभ मिला है.