सरायकेला: झारखंड के कोकून उत्पाद का डंका अब पूरे विश्व में बजने वाला है. मुंबई में मंगलवार से शुरू होकर आगामी 21 मार्च तक चलने वाले 'लैक्मे फैशन वीक' फैशन शो में पहली बार सरायकेला की कंपनी कोकून अपने उत्पाद प्रदर्शित करेगी. जर्मनी की ज्वाइंट वेंचर यह कंपनी यूरोप के कई देशों में अपने डिजाइन का झंडा गाड़ चुकी है.
जैविक तरीके से तैयार किया जाता है रेशम
कोकून कंपनी सरायकेला-खरसावां जिले के दूरदराज इलाकों में काम करती है. कंपनी की ओर से इस बार 'लैक्मे इंडिया फैशन वीक' में जो कलेक्शन पेश किया जा रहा है, उसमें झारखंड और जर्मनी की कला शैली का फ्यूजन देखने को मिलेगा. सरायकेला के कुचाई के कोकून को भागलपुर में कंपनी की ओर से शोध कर जर्मनी समेत दुनिया के कई देशों में कोकून क्राफ्ट एंड लूम प्रोडक्ट के तौर पर उपलब्ध कराया जा रहा है. कंपनी की ओर से जैविक तरीके से रेशम के कीड़ों से सिल्क तैयार किया जा रहा है, जिससे रेशम के कीड़े को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. रेशम के ये कीड़े कोकून उत्पादन के दौरान अपनी जीवन चक्र भी पूरा करते हैं.
लैक्मे फैशन वीक में झारखंड की कंपनी कोकून का बजेगा डंका
16 मार्च को मुंबई में लैक्मे फैशन वीक शुरू हो रहा है. 21 मार्च तक चलने वाले इस फैशन शो में पहली बार झारखंड की एक कंपनी अपने नये कलेक्शन का प्रदर्शन करेगी. यूरोप के कई देशों में अपने डिजाइन का झंडा गाड़ चुकी कोकून नाम की कंपनी सरायकेला-खरसांवा के दूरदराज इलाकों में काम करती है. इस फैशन शो में पहली बार झारखंड की हस्तकला और नाट्यकला छऊ से प्रेरित अवंतगार्ड (avant-garde) कलेक्शन का प्रदर्शन होगा. इस कलेक्शन में जर्मनी की प्रसिद्ध कला शैली बाउहाउस (Bauhaus) की छाप देखने को मिलेगी. पहली बार कोई कंपनी ऐसा कलेक्शन पेश करने जा रही है, जिसमें झारखंड और जर्मनी की कला शैलियों का फ्यूजन होगा.
कोकून उत्पाद बनाते कारीगर जर्मनी में है कंपनी का डिजाइन स्टूडियो
झारखंड की कंपनी कोकून जो कलेक्शन पेश करने जा रही है, उसका थीम पूर्ण वृत है. यह मॉडल जिस डिजानइनर को पहनाया जाएगा, उसमें पूर्ण वृत की झलक देखने को मिलेगी. पूर्ण वृत, सनातन धर्म के जीवन चक्र पर आधारित है. सनातन धर्म में जीवन चक्र का सिद्धांत बताता है कि इंसान का शरीर नश्वर है और आत्मा अजर-अमर है. ये बताता है कि प्राकृतिक संसाधनों का सतत प्रयोग किया जाए, ताकि कुछ भी व्यर्थ ना जाए. इस कलेक्शन में जिस ड्रेस को मॉडल पेश करेंगी, उनमें जैविक तरीके से तैयार रेशम के कपड़ों का इस्तेमाल हुआ है. इस रेशम की खास बात यह है कि इसे बनाने में किसी भी रेशम के कीड़े को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है. रेशम के इन कीड़ों ने अपना जीवन चक्र पूरा किया है. कंपनी का डिजाइन स्टूडियो जर्मनी में है. कंपनी की इकाइयां झारखंड के अलग-अलग क्षेत्रों में चल रही है.
कोकून उत्पाद बनाने की तैयारी