सरायकेला: झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम शुक्रवार को सरायकेला पहुंची. इस दौरान टीम में शामिल पदाधिकारियों ने परिसदन में बैठक की. इस मौके पर टीम ने बाल संरक्षण पर जोर दिया और बाल मजदूरी रोकने जैसे गंभीर मुद्दों पर कई निर्देश दिए. आयोग की टीम में प्रमुख रूप से सदस्य उज्ज्वल प्रकाश तिवारी मौजूद थे. उनकी अध्यक्षता में पदाधिकारियों के साथ बैठक भी आयोजित की गई. बैठक में आयोग के सदस्य उज्ज्वल प्रकाश तिवारी के अलावा सदस्य रुचि कुजूर, विकास दोदराजक, सरायकेला एसडीओ रामकृष्ण कुमार, डीएसपी मुख्यालय चंदन वत्स के अलावा विभागों के अधिकारी मौजूद रहे.
Seraikela Kharsawan News: झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम पहुंची सरायकेला, बाल मजदूरी रोकने के लिए हर मुमकिन उपाय करने का निर्देश
बाल मजदूरी कराना अपराध है और ऐसा करने वाले संचालकों पर कड़ी कार्रवाई होगी. यह बातें सरायकेला खरसावां में बाल अधिकार संरक्षण टीम में शामिल पदाधिकारियों ने कही. टीम ने जिले के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर कई दिशा-निर्देश भी दिए.
माइनिंग से जुड़े उद्योगों में बाल मजदूरी पर लगे रोकः बैठक में प्रमुख रूप से माइनिंग विभाग को निर्देशित किया गया कि माइनिंग से जुड़े उद्योग-धंधों में बाल मजदूरी पर रोक लगायी जाए. इसे लेकर विशेष जांच और छापेमारी अभियान चलाया जाए.इस दौरान टीम के सदस्य उज्ज्वल प्रकाश तिवारी ने बताया कि माइनिंग से जुड़े उद्योग, ईंट भट्ठे, क्रशर उद्योग में बाल मजदूरी रोकने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं.
नियमों की अनदेखी करने वाले उद्योग संचालकों पर कार्रवाई का निर्देशः उन्होंने बताया कि माइनिंग उद्योग से जुड़े संचालकों के साथ बैठक कर उन्हें आयोग के निर्देशों से अवगत कराया जाए. उन्होंने कहा कि नियमों की अनदेखी करने वाले संचालकों पर कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा स्कूली बसों की भी निगरानी करने का निर्देश दिया.
14 से 18 वर्ष के बच्चों का स्कूल में दर्ज हो 90% उपस्थितिः आयोग के सदस्य उज्ज्वल प्रकाश तिवारी ने बताया कि बाल संरक्षण अधिनियम के तहत 14 से 18 वर्ष के बच्चों को बाल मजदूरी रोकने के लिए बनाए गए कानून का सख्ती से अनुपालन हो. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित कराया जाए कि 14 से 18 वर्ष के बच्चे अतिरिक्त समय में आजीविका के उद्देश्य से कार्य करें, लेकिन स्कूल की उपस्थिति 90% तक सुनिश्चित हो. ऐसा नहीं करने वाले संस्थानों पर कठोर कार्रवाई की जाए.
बच्चों को स्कूल नहीं भेजने वाले अभिभावकों पर होगी कार्रवाईः आयोग द्वारा बताया गया कि यदि कोई अभिभावक अपने बच्चों को निजी संस्थानों में कार्य कराते हैं तो उन्हें अवश्य रूप से स्कूल भेजा जाए, ऐसा नहीं करने वाले अभिभावकों पर भी कार्रवाई होगी.