झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

Chhau Mahotsav 2023: राजकीय चैत्र पर्व-छऊ महोत्सव को लेकर हुई भैरव पूजा, 11 अप्रैल से शुरू होगा महोत्सव - पुरुलिया शैली छऊ नृत्य

सरायकेला में छऊ महोत्सव को लेकर रविवार को भैरव पूजा की गई. जिसमें बीडीओ मृत्युंजय कुमार पूजा में मौजूद थे. पूजा के बाद एक खास तरह की नृत्य का भी आयोजन किया गया. वहीं महोत्सव को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह नजर आया.

http://10.10.50.75//jharkhand/02-April-2023/jh-ser-01-chhau-puja-jh10027_02042023194656_0204f_1680445016_871.jpg
Chhau Mahotsav In Seraikela

By

Published : Apr 3, 2023, 1:37 PM IST

सरायकेला-खरसावां: जिला प्रशासन और राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र की ओर से 11 अप्रैल से चैत्र पर्व सह छऊ महोत्सव 2023 का आयोजन किया जाएगा. इसको लेकर रविवार को भैरव पूजा की गई. हर साल महोत्सव से पहले भैरव पूजा की जाती है . इसी को लेकर जिला मुख्यालय सरायकेला की खरकाई नदी तट पर अवस्थित भैरव साल में प्रत्येक वर्ष की तरह महोत्सव से पूर्व जिला प्रशासन की ओर से भैरव यानी भगवान शिव की पूजा की.

ये भी पढे़ं-Seraikela News: अखाड़ा समितियों के कार्यक्रम में शामिल हुए मंत्री चंपई सोरेन, कहा- भगवान राम के आदर्शों को अपनाने की जरूरत

महोत्सव से पहले हुई भैरव पूजाः इस वर्ष भी पारंपरिक रूप से जिला प्रशासन और कला केंद्र की ओर से पूजा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में प्रभारी निदेशक के रूप में बीडीओ मृत्युंजय कुमार पूजा में बतौर यजमान शामिल हुए. पूजा के दौरान कला केंद्र के सेवानिवृत्त निदेशक तपन कुमार पटनायक,सेवानिवृत्त अनुदेशक विजय कुमार साहू और अन्य कलाकार उपस्थित थे. वहीं पूजा के बाद नृत्य का आयोजन किया गया.

ग्रामीण नृत्य दलों के बीच प्रतियोगिता आज से प्रारंभः छऊ महोत्सव में शामिल होने वाले ग्रामीण नृत्य दलों के बीच प्रतियोगिता आज से प्रारंभ होने वाली है. इस संबंध में गुरु तपन कुमार पटनायक ने बताया कि सोमवार को सरायकेला शैली छऊ नृत्य दलों के बीच प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी. वहीं चार अप्रैल मंगलवार को मानभूम पुरुलिया शैली छऊ नृत्य दलों के लिए प्रतियोगिता रखी गई है, जबकि पांच अप्रैल बुधवार को खरसावां शैली छऊ नृत्य दलों के बीच प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी.

सरायकेला में खास तरह से मनाया जाता है छऊ महोत्सवः बताते चलें कि छऊ महोत्सव सरायकेला में खास तरह से मनाया जाता है. क्योंकि कई जानकारों का मानना है कि छऊ नृत्य की उत्पति झारखंड के सरायकेला से ही हुई है. हालांकि पड़ोसी राज्यों जिसमें पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्य में भी छऊ नृत्य का प्रचलित है. इस नृत्य में मुखौटे का इस्तेमाल किया जाता है. सरायकेला-खरसावां के छऊ नृत्य में मुखौटे का इस्तेमाल किया जाता है. छऊ नृत्य में झारखंड की संस्कृति की झलक भी देखने के मिलती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details