सरायकेला: जिले के आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में अटल मिशन फॉर रिजूवनेशन अर्बन ट्रांसफॉरमेशन, (अमृत) योजना से 5 आलीशान पार्कों का निर्माण कराया गया है. करोड़ों की राशि खर्च कर पांच में से चार पार्क बनकर पूरी तरह तैयार हो चुके हैं, लेकिन बिना बंदोबस्ती के यह पार्क अब धीरे धीरे खंडहर में तब्दील होने लगे हैं.
5 में से केवल एक पार्क की बंदोबस्ती
आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में करोड़ों की लागत से अमृत योजना से इन पांच पार्क को तकरीबन साल भर पहले ही पूरी तरह बनाकर तैयार कर लिया गया है, इनमें से अब तक केवल एक अटल पार्क का संचालन शुरू हो सका है और पार्क की बंदोबस्ती भी कर दी गई है. तकरीबन 5 करोड़ की लागत से इस पार्क को बनाया गया था.
इसके अलावा निगम क्षेत्र अंतर्गत प्रभात पार्क, डब्लू टाइप पार्क, रिक्शा कॉलोनी पार्क और श्रीडूंगरी पार्क अभी उद्घाटन की बाट जो रहे हैं. सबसे महत्वपूर्ण है कि बाकी चार पार्क जो पूरी तरह बनकर तैयार हैं उन्हें अब तक हैंड वर्क भी नहीं लिया गया, जबकि निगम की ओर से इन चार पार्क की बंदोबस्ती भी नहीं की जा सकी है, ऐसे में करोड़ों खर्च कर बनाए गए या पार्क विगत 1 सालों से अब मात्र शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं.
सवा सौ करोड़ की लागत से बने चार पार्क में सांपो का बसेरा
निगम क्षेत्र में चार पार्क जो पूरी तरह बनकर तैयार हैं. इनमें से सभी की लागत अलग-अलग हैं, लेकिन लगभग सवा करोड़ की लागत से हर एक पार्क का निर्माण कराया गया है. तकरीबन 1 साल पहले से बनकर तैयार यह पार्क अब धीरे-धीरे जंगल में तब्दील होते जा रहे हैं. बिना रखरखाव के पार्क में लगे सभी महंगे सजावटी उपकरण रखे रखे खराब होने लगे हैं और इन पार्क में अब सांप और बिच्छू का डेरा बन गया है.
असामाजिक तत्व के लिए यह बंद पार्क सेफ जोन
5 में से तकरीबन 4 पार्क शहरी क्षेत्र अंतर्गत बने हैं, जबकि एक पार्क श्रीडूंगरी जो ग्रामीण परिवेश में बना है. वह भी बंद ताले के साथ अपनी शोभा बढ़ा रहा है. वहीं बिना देखरेख के पार्क को आम लोग अब बेकार मानने लगे हैं, इधर अधिकांश पार्क जो बंद पड़े हैं. उनमें असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है और पार्क में उगाए बड़े-बड़े झाड़ियों में नशेड़ी और शराबी बैठकर नशा पान करते हैं और अब असामाजिक तत्व के लिए यह बंद पार्क सेफ जोन बन गया है.
पार्क शुरू नहीं होने से आम जनता की बढ़ी परेशानी
अमृत योजना के तहत बनाए गए इन पार्क को शुरू नहीं किए जाने और सरकारी योजना की नाकामी को लेकर आम लोग के साथ-साथ नगर निगम के वार्ड पार्षद भी मुखर दिख रहे हैं. स्थानीय निगम के वार्ड पार्षद विक्रम किस्कू ने बताया कि निगम के अधिकारियों ने बिना सोचे समझे इन योजनाओं में एक बड़ी राशि खर्च कर दी है, जोकि बेकार साबित हो रही है.
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